सवर्ण और मुस्लिमों की तुलना में क्यों जल्दी हो जाती है दलित स्त्रियों की मौत?

नई दिल्ली. भारत की आजादी को कई दशक बीत चुके हैं, लेकिन जाति लिंग, नस्ल के आधार पर भेदभाव आज भी जारी है. कानून तो है पर रोजाना जिस तरह की खबरें आती हैं वह जमीनी हकीकत को बयां कर देती हैं. आधुनिकता के दौर में कई चीजें बदस्तूर जारी है. खासतकर महिलाओं (Dalit Women) की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि दलित महिलाएं स्वर्ण और मुस्लिमों की तुलना में जल्दी मर जाती हैं. युनाइटेड नेशन्स वुमन की तरफ़ से जारी रिपोर्ट ‘टर्निंग प्रॉमिसेस इन्टू एक्शन: जेण्डर इक्वैलिटी इन द 2030 एजेण्डा’ (Turning Promises into Action: Gender Equality in the 2030 agenda) में कहा गया है कि भारत की औसत दलित स्त्री उच्च जातियों की महिलाओं की तुलना में 14.6 साल पहले दुनिया को अलविदा कह जाती हैं.

कमजोर होती दलित महिलाओं की जीवन रेखा

रिपोर्ट में कहा गया है कि दलित महिलाओं की जीवन रेखा के कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है सही सैनेटाइजेशन का न मिलना और स्वास्थ्य की अपर्याप्त सुविधा. अनुसूचित जाति और जनजातियों के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट  कहा है कि दलित स्त्रियों को दोहरा बोझ झेलना पड़ता है. वे जाति और जेंडर के आधार पर शोषित होती हैं और यौन शोषण के सामने बेबस हैं.

दलित महिलाओं के खिलाफ ही होते हैं ज्यादा अपराध
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो- 2016 के मुताबिक दलितों के ख़िलाफ़ जितने अपराध दर्ज होते हैं, उनमें ज़्यादातर दलित स्त्रियों के ख़िलाफ़ होते हैं.

मजदूरी और मजबूरी

Advertisements

एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत में आज भी 7-8 लाख दलित मैला ढोना, सीवर की सफाई जैसे काम करते हैं जिनमें से 95 फ़ीसदी महिलाएं हैं. अर्थात बेहतर नौकरियों से तथा शिक्षा के अच्छे अवसरों से आम तौर पर वंचित हैं.

 

dalitawaaz

Dalit Awaaz is the Voice against Atrocities on Dalit & Underprivileged | Committed to bring justice to them | Email: dalitawaaz86@gmail.com | Contact: 8376890188

Recent Posts

Mayawati की BSP महारैली – क्या इशारों में चंद्रशेखर आजाद पर वाकई निशाना साधा गया?

मायावती का यह बयान दलित राजनीति (Dalit Politics) में 'नेतृत्व संघर्ष' के संकेत के रूप…

3 hours ago

Dr. BR Ambedkar on Ideal Society : एक आदर्श समाज कैसा होना चाहिए? डॉ. बीआर आंबेडकर के नजरिये से समझिये

लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…

2 years ago

This website uses cookies.