कामगारों को उन श्रेणियों में बांटे जाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इस श्रेणी में भी सभी समान मजदूरी ही पाते हैं.
नई दिल्ली.सरकारी योजना का लाभ का बंटवारा तो जाति के आधार पर हो ही रहा था क्या अब मनरेगा मजदूरों का भुगतान भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सवर्णों को देखते हुए किया जाएगा?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना अधिनियम (मनरेगा) के तहत किए जाने वाले मजदूरी के भुगतान को विभिन्न श्रेणियों-अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य वर्ग को अलग-अलग खांचे में दर्ज करें.
हालांकि मंत्रालय ने ऐसा क्यों किया, किन-किन लोगों से इस बारे में परामर्श लिया गया इसका खुलासा नहीं हो पाया है.
मजदूर तो सभी एक ही हैं…
सरकार के इस कदम के बाद राजनीति गर्मा गई है. वहीं, लोगों का कहना है कि किसी भी कामगार को जाति और श्रेणी के आधार पर बांटे जाने का कोई अर्थ नहीं है. ऐसा इसीलिए क्योंकि मनरेगा के तहत कार्य करने वाले सभी को एक समान भुगतान पाने का अधिकार है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब-जब मजदूरों के भुगतान के तरीके में बदलाव किया गया, तब-तब मजदूरी मिलने में और भी ज्यादा देर हो जाती है.
ऐसे में मजदूर काम करते हुए भी आर्थिक परेशानियों से जूझने लगते हैं.
माकपा ने उठाए सरकार की नीति पर सवाल
माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर केंद्र की ओर से राज्यों को भेजे गए उस परामर्श के पीछे की मंशा को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने पत्र में कहा कि यह परामर्श राज्यों को यह अधिकार देता है कि कानून के क्रियान्वयन के हर पहलू का सामाजिक वर्गीकरण किया जाए, जो गलत है.
Akhilesh Yadav Dr. BR Ambedkar Poster Row : अखिलेश अपनी पार्टी के दलित नेताओं का…
Rohith Vemula Closure Report: कांग्रेस ने कहा कि जैसा कि तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट किया…
Kanshi Ram Thoughts on Elections and BJP : कांशी राम का मानना था कि चुनावों…
लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…
Ravidas Jayanti 2024 BSP Mayawati message : बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शनिवार…
Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर…
This website uses cookies.