हरियाणा (Haryana) के हिसार (Hisar) जिले के एक गांव से लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अनोखा वाकया सामने आया है. इसमें एक 80 वर्षीय मुस्लिम महिला फुली देवी के परिवार के सदस्यों ने शुक्रवार को यहां बिठमारा गांव में हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया.
सुनने में यह थोड़ा अजीब ज़रूर लगे, लेकिन यह हकीकत है. दरअसल, फुली देवी के विधिवत अंतिम संस्कार के बाद उनके रिश्तेदार माजिद खान ने कहा कि वे अनुसूचित जाति समुदाय (Scheduled Caste community) से हैं और उनके पूर्वजों ने मुगल शासन (Mughal rule) के दौरान इस्लाम में धर्मांतरण किया था. वे पहले हिंदू थे.
HT की रिपोर्ट के अनुसार, माजिद कहते हैं, ‘न तो हम पर कोई दबाव था और न ही गांव में कोई तनाव. जब हमने फुली देवी का अंतिम संस्कार करने का फैसला किया, तो हमें ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिला’.
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मृतक के बेटे सतबीर सिंह ने कहा कि पहले उनका परिवार दफन नियमों का पालन करता था. वह बताते हैं कि हम गांव में हिंदू परिवारों के साथ रहे हैं और उनके साथ भाईचारा और शांति बनाए रखी है. हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार मेरी मां का अंतिम संस्कार करना हमारा फैसला था. हमें दूसरों से भी समर्थन मिला.
सिंह ने कहा कि किसी भी समुदाय के किसी व्यक्ति ने हमें ऐसा करने की धमकी नहीं दी और यह कदम बिना किसी बाहरी दबाव के उठाया गया.
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इस पर हिसार की डिप्टी कमिश्नर प्रियंका सोनी ने कहा कि, “फूली देवी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया. परिवार पर कोई दबाव नहीं था और सदस्य हिंदू धर्म में परिवर्तित नहीं हुए थे. गांव में पूरा सामंजस्य है.”
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फुली देवी को शत शत नमन
ये बात सही है कि जो भारत में मुस्लिम समाज है वो पहले अत्याचार , भेद भाव , जाति वाद की वजह से यहां के मूलनिवासी बहुजनो ने मुस्लिम धर्म अपना है।