भूखे-प्‍यासे और साइकिल भी पंचर… मान्‍यवर कांशीराम का 5 पैसे वाला ‘प्रेरक किस्‍सा’

दलित आवाज़ यह प्रेरक प्रसंग मान्‍यवर कांशीराम (Manyavar Kanshi Ram) के संघर्ष के उन दिनों को याद करते हुए बता रहा है, जब वह साइकिल पर पूरे देश में अपने मिशन को अंजाम देने में जुटे हुए थे. उन्‍होंने भूखे-प्‍यासे रहकर बहुजन मिशन को आगे बढ़ाया. इन्‍हीं में से एक किस्‍सा है 5 पैसे का. इस किस्‍से को पढ़कर मान्‍यवर के बहुजन समाज के लिए किए महान संघर्ष पर गर्व होगा. आइये पढ़ें इसे…

…साल 1972 में हमने पूना में अपना छोटा सा कार्यालय खोला. शायद बहुजन समाज मूमेंट का वो पहला कार्यालय था. मैं उस समय रेलवे में नौकरी करता था. नौकरी के लिए मुझे रोज पूना से मुंबई जाना पड़ता था.

साहब जी मेरे साथ मुंबई आना जाना करते थे. उस वक्त रेल के डिब्बे में ही हम योजनाएँ बनाते थे. कांशीराम साहब जी (Kanshi Ram) के पास पूना से मुंबई का रेलवे पास था. हम अपनी साइकलों पर पूना स्टेशन जाते थे और फिर मुँबई से आकर साइकल से कार्यलय पहुचते थे. हम स्टेशन के पास वंदना होटल पर खाना खाते थे.

आज भी में उस दिन को याद करता हूँ जब मैं और कांशीराम साहब (Manyavar Kanshi Ram) मुंबई से पूना आये और साइकल उठाकर चल पड़े.

उस दिन मेरे पास तो पैसे नही थे इसीलिए मैंने सोचा साहब जी खाना खिला देंगे मगर साहब भी नहीं बोले. मैंने सोचा की आज साहब का दूसरे होटल में खाना खाने का मूड है. वो होटल भी आ गया हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और आगे चल पड़े क्योंकि पैसे किसी के पास नही थे.

हम दोनों रात को पानी पीकर सो गये. अगले दिन मेरी छुट्टी थी मगर साहब को मीटिंग के लिए जाना था. साहब सुबह उठे और नहा धो कर अटेची उठाकर निकलने लगे. थोड़ी देर बाद वापिस आये और बोले यार मनोहर कुछ पैसे है क्या तुम्हारे पास? मैंने कहा नहीं है साहब . तो साहब ने कहा देख कुछ तो होंगे ? मैंने कहा कुछ भी नहीं है साहब .

Advertisements

“यार 5 पैसे तो होंगे “मैंने भी बैग में ढूंढ़ा मगर नहीं मिले. मैंने पूछा क्या काम था साहब ? यार साइकल पंक्चर हो गयी है और ट्रेन का भी समय हो गया है . मैंने कहा तो क्या हुआ साहब आप मेरी साइकल ले जाओ …! साहब ने कहा अरे भाई तेरे वाली भी खराब है. 5 पैसे ना होने के कारण साहब पैदल ही दौड़ गये ..

और पहली बार जब मैंने कांशीराम साहब को हेलिकोप्टर से उतरते देखा तो आँखों से आसूं निकल गये और मेरे मुँह से निकला “वाह साहब जी वाह…!”

 

(साभार: velivada.com)

dalitawaaz

Dalit Awaaz is the Voice against Atrocities on Dalit & Underprivileged | Committed to bring justice to them | Email: dalitawaaz86@gmail.com | Contact: 8376890188

Recent Posts

Mayawati की BSP महारैली – क्या इशारों में चंद्रशेखर आजाद पर वाकई निशाना साधा गया?

मायावती का यह बयान दलित राजनीति (Dalit Politics) में 'नेतृत्व संघर्ष' के संकेत के रूप…

3 hours ago

Dr. BR Ambedkar on Ideal Society : एक आदर्श समाज कैसा होना चाहिए? डॉ. बीआर आंबेडकर के नजरिये से समझिये

लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…

2 years ago

This website uses cookies.