‘मेरा की कसूर’: रंजीत बावा का ये गीत हिंदू विरोधी है या पिछड़ों-दलितों की बात कहने वाला? पंजाब में खड़ा हुआ बवाल

Mera-Ki-Kasoor-Ranjit-Bawa-Dalit-Discrimination

पंजाबी सिंगर रंजीत बावा (Punjabi singer Ranjit Bawa) के एक गाने ने पंजाब (Punjab) में नई चर्चा को जन्‍म दिया है, जिसके बोल हैं “Je Mai Marhe Ghar Jammeya te Mera ki Kasoor Aa” यानि अगर मैं एक ‘निम्न’ घर में पैदा हुआ तो मेरा क्या दोष है? दरअसल, जैसा कि शीर्षक ‘मेरा की कसूर’ से ही साफ है, यह गीत मुख्य रूप से जातिगत भेदभाव (Caste Discrimination) और गरीबों की दुर्दशा से संबंधित है. लेकिन इस गीत पर कुछ हिंदूवादी संगठनों और लोगों को घोर आपत्ति है, क्‍योंकि वे कहते हैं कि यह हिंदू विरोधी (anti-Hindu) है.

पंजाब में बीजेपी से लेकर शिवसेना और विश्‍व हिंदू परिषद तक ने इस गाने को लेकर रंजीत बावा को निशाने पर लिया है.

कम से कम दो बीजेपी युवा नेता अशोक सरीन हिक्‍की ने जालंधर तो पीयूष मनचंदा ने कपूरथला में रंजीत बावा के खिलाफ केस दर्ज कराया है. उनका आरोप है कि रंजीत का ये गीत हिंदूओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है.

 

 

सीरत प्रोडक्शंस द्वारा अपने ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जारी किए गए इस गाने को वायरल होने के बावजूद पुलिस कंप्‍लेंट होने के बाद बावा के सभी आधिकारिक प्‍लेटफॉर्म से हटा लिया गया है. उधर, रंजीत वाबा ने भी विवाद बढ़ता देख माफी मांगी है और कहा है कि उनका इरादा कभी भी किसी धर्म का अनादर करने का नहीं है.

पढ़ें- रायबरेली: दलित की गाय चरने खेत में घुसी, दंबगों ने दलित को इतना पीटा की हुई मौत, पुलिस की लापरवाही

आपको बता दें कि इस गाना इतना अधिक वायरल हुआ कि दो दिन में इसे 3 लाख से अधिक व्‍यूज मिले.

दूसरी ओर, बावा को इस गीत के माध्यम से दलितों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए प्रशंसा मिल रही है. गायक के समर्थन में कई लोगों ने ट्विटर पर #IStandWithRanjitBawa भी ट्रेंड किया.

यह गाना क्‍या कहता है?

 

ये भी पढ़ें- दलित बस्‍ती को 2 महीने से नहीं मिल रहा पानी, सरपंच के पति ने कुएं से पानी भरने से भी मना किया

गाने का यह भाग, जिसके बोल बीर सिंह ने लिखे हैं, हिंदुत्‍व विचारधारा के लोगों को नागवार गुज़रा है. ये बोल हैं…

“Bhukhian layi mukiaan te Pathraa layi dudh aaa Ohh je mayi sach bohtaa boleyaa te mach janaa yudh aaa Gareebde di shoh madi gaau daa moot shud aaa”

इसका हिंदी में मतलब समझें तो यह बोल कहते हैं, ‘तुम भूखे मरते हो लेकिन पत्थरों पर दूध चढ़ाते हो. अगर मैं सच कहूं तो युद्ध होगा. एक गरीब की दृष्टि अशुद्ध है, लेकिन गाय का मूत्र शुद्ध है’

गीत के इन बोल को हिंदू धर्म का अपमान बताया जा रहा है.

हालांकि हिंदूवादी विचारधारा के लोगों की ओर से आलोचना के बावजूद कई लोग बावा के गीत ‘मेरी की कसूर’ को जातिगत भेदभाव के मजबूत आलोचक के रूप में देखते हैं न कि हिंदू धर्म पर हमले के रूप में. इसी का नतीजा है कि ट्विटर पर उनके समर्थन में #IStandWithRanjitBawa कई ट्वीट के साथ ट्रेंड करता रहा.

 

गाने की कुछ और पंक्तियों में अन्‍य धर्मों के बीच भी जातिगत भेदभाव का सवाल उठाया गया है, जिसमें “Gotan anusaar gurdvare vi banaa laye Dhane bhagat ravidaas di bani nuu nakaro pehlaan” यानि ‘आपने जातिगत रेखाओं के साथ गुरुद्वारों का निर्माण किया है. पहले रविदास की शिक्षाओं का खंडन कीजिए…’ के अलावा “Ohh gatre jenau te cross gal pa laye Vichar apnaaye naa te bane apnaa laye” ‘यानि आप जनेऊ पहनते हैं और अपनी गर्दन पर लगाते हैं, लेकिन आपने सिद्धांतों को कभी नहीं अपनाया भी शामिल हैं’.

पढ़ें- एससी/एसटी एक्ट की 20 जरूरी बातें, जो आपको पता होनी चाहिए

जानिए कौन सी बातें हैं, SC/ST Act के तहत अपराध…

1 thought on “‘मेरा की कसूर’: रंजीत बावा का ये गीत हिंदू विरोधी है या पिछड़ों-दलितों की बात कहने वाला? पंजाब में खड़ा हुआ बवाल”

  1. क्या अब हम कोई गाना भी नहीं गा सकते है। आज के हकीकत इस गाने में नजर आ रही है। इस गाने से मनुवादी को चोट बहुत लगी है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…