बीआर आंबेडकर

डॉ. आंबेडकर ने हमारी पीढ़ी को क्या दिया?

नई दिल्ली. भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर का जीवन संघर्ष से भरा रहा. जो तकलीफें और परेशानियां उन्होंने अपने जीवनकाल में देखी वो नहीं चाहते थे कि कोई भी दलित उसे अपने जीवन में महसूस भी करे. एक सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में आंबेडकर की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है.

स्वतंत्रता के बाद भारत में, उनके सामाजिक-राजनैतिक विचारों को पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में सम्मानित किया जाता है. जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो आंबेडकर के विचारों से प्रभावित न हों. भारत के सामाजिक, आर्थिक नीतियों और कानूनी ढांचों में अगर आज कहीं भी प्रगतिशील बदलाव दिख रहे हैं तो इसके पीछे कहीं न कहीं आंबेडकर के वो विचार हैं जो उन्होंने 60 से 75 साल पहले दिए.

अगर आज की युवा पीढ़ी में अगर कहीं ये सवाल है कि आंबेडकर का उनकी पीढ़ी को क्या योगदान है तो जानिए उनके विचारों को जो आज भी लोगों द्वारा अपनाए जाते रहे हैं.

आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है उसका कोई धर्म होना चाहिए

– मैं बुद्ध के धर्म को सबसे अच्छा मानता हूं इससे किसी धर्म की तुलना नहीं की जा सकती है यदि एक आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल बौद्ध धर्म ही हो सकता है सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के पच्चीस वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है.

 

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– मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों धर्म को इस विशाल, व्यापक क्षेत्राधिकार के रूप में दी जानी चाहिए ताकि पूरे जीवन को कवर किया जा सके और उस क्षेत्र पर अतिक्रमण से विधायिका को रोक सके. सब के बाद, हम क्या कर रहे हैं के लिए इस स्वतंत्रता? हमारे सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें यह स्वतंत्रता हो रही है, जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरा है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करते हैं.

 

– “मैं महसूस करता हूं कि संविधान, साध्य (काम करने लायक) है, यह लचीला है पर साथ ही यह इतना मज़बूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों के समय जोड़ कर रख सके. वास्तव में, मैं कह सकता हू. कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था”.

“सांप्रदायिकता से पीड़ित हिंदुओं और मुसलमानों दोनों समूहों ने सामाजिक न्याय की मांग की उपेक्षा की है”.

 

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