SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर सिद्धांत लागू हों, जानिए सुप्रीम कोर्ट की इस ताजा टिप्‍पणी के मायने

Supreme-Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) की संविधान पीठ ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को लेकर ताजा टिप्‍पणी की गई है. पीठ ने टिप्पणी कि है कि सरकार एससी-एसटी आरक्षण (SC/ST Reservation) में क्रीमी लेयर सिद्धांत लागू करे.

खास बात यह है कि वर्ष 2018 में संविधान पीठ द्वारा जरनैल सिंह केस में की गईं टिप्पणियां अभी फैसले से हटी भी नहीं हैं कि अब दूसरी संविधान पीठ ने यही टिप्पणियां फिर से कर दी हैं. लिहाजा, इससे सरकार के लिए एक बार फिर से मुश्किल खड़ी हो गई है.

रिपेार्ट के मुताबिक, बीते 22 अप्रैल के फैसले में की गईं टिप्पणियों के खिलाफ भी सरकार शीर्ष कोर्ट का रुख करेगी, क्योंकि यह उसे राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकता है, लिहाजा सरकार इन टिप्पणियों के फैसले में बने रहने का खतरा नहीं उठाना चाहेगी.

बता दें कि साल 2018 में क्रीमी लेयर की टिप्पणियों को लेकर दलित वर्ग ने कड़ा विरोध जताया थ, जिसके बाद केंद्र सरकार ने दिसंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन टिप्पणियों को फैसले से हटाने का अनुरोध किया था.

सरकार का तर्क था कि ये मामला सात जजों की बड़ी बेंच को भेजा जाए, क्‍योंक‍ि एससी-एसटी कैटेगरी में क्रीमी लेयर नहीं लागू किया जा सकता. इसके पीछे सरकार का कहना था कि आर्थिक रूप से सशक्त होना भी उनसे दलित होने का दाग नहीं मिटा पा रहा है. फ‍िलहाल सरकार की यह अर्जी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

हालांकि मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने उसे 7 जजों की बड़ी बेंच को भेजने पर विचार करने को लेकर अपनी सहमति जता दी है. अब तक क्रीमी लेयर का सिद्धांत अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में ही लागू होता है.

क्या हैं सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
एससी-एसटी कैटेगरी के जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर धनी हो चुके हैं, उन्हें शाश्वत रूप से रिजवेशन यानि आरक्षण देना जारी नहीं रखा जा सकता. कल्याण के उपायों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि बदलते समाज में इसका फायदा सभी को मिल सके.

इससे पहले सरकार को लाना पड़ा था अध्यादेश
उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2018 में जब एससी-एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के प्रावधानों को हल्का कर दिया था तो सरकार को इसके लिए अध्यादेश लाना पड़ा था.

हालांकि बाद में सरकार की अपील पर कोर्ट की बड़ी बेंच ने बीते साल अपने पूर्व के फैसले को निरस्त कर था. ताजा टिप्पणियां शीर्ष कोर्ट ने आंध्र व तेलंगाना के अनुसूचित क्षेत्रों में एसटी वर्ग को 100% आरक्षण देने के आदेश को रद्द करते हुए 22 अप्रैल को की हैं.

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