Omprakash Valmiki

Dalit Kavita sadiyon ka santap Om prakash valmiki

अभी और कितने दिन, इसी तरह गुमसुम रहकर, सदियों का संताप सहना है!- ओमप्रकाश वाल्‍मीकि

ओमप्रकाश वाल्‍मीकि (Om Prakash Valmiki): दोस्‍तों! इस चीख़ को जगाकर पूछो कि अभी और कितने दिनइसी तरह गुमसुम रहकर सदियों का संताप सहना है!

Mai Janta hu mera dard tumhare liye chinti jaisa Om prakash Valmiki Dalit pain

मैं जानता हूं, मेरा दर्द तुम्हारे लिए चींटी जैसा… ओमप्रकाश वाल्‍मीकि (Om Prakash Valmiki)

मैं जानता हूं मेरा दर्द तुम्हारे लिए चींटी जैसा और तुम्हारा अपना दर्द पहाड़ जैसा -ओमप्रकाश वाल्‍मीकि (Om Prakash Valmiki) 

Omprakash Valmiki Dalit Writer

मैं पूछता हूं, क्या उनकी जाति तुमसे ऊंची है? पढ़ें- ओमप्रकाश वाल्‍मीकि की कविताएं

लेखन में जातीय अपमान का वर्णन करने वाले ओमप्रकाश वाल्‍मीकि (Omprakash Valmiki) की हर रचना दलितों के साथ होने वाले अत्‍याचार बयां करती है.

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