दिल्‍ली यूनिवर्सिटी में दलित शिक्षकों से भेदभाव, दलित टीचर को क्‍लास नहीं लेने देती प्रिंसिपल

नई दिल्ली : दिल्ली विश्‍वविद्यालय (Delhi University) के दौलत राम कॉलेज (Daulat Ram College) और दयाल सिंह कॉलेज (Dayal Singh College) में भेदभाव और नियुक्ति का मामला गरमा रहा है. डीयू के वाइस चांसलर (Vice Chancellor) से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) ने जवाब तलब कर लिया है. उनसे 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है.

दरअसल, डीयू के इन दोनों कॉलेजों के ये मामले अलग-अलग मामले हैं. दौलतराम कॉलेज में एक एडहॉक महिला टीचर से भेदभाव का मामला आयोग ने उठाते हुए जवाब मांगा है.

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सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के चेयरपर्सन डॉ. डीके सागर की शिकायत का हवाला देते हुए एसी आयोग ने दोनों ही मामलों में जवाब मांगा है .

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दरअसल, दौलतराम कॉलेज की प्रिंसिपल पर एससी टीचर ऋतु सिंह के साथ भेदभाव का गंभीर आरोप है. इस मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी इसकी काफी चर्चा हो रही है और Twitter पर #रितु_सिंह_से_भेदभाव_बंद_हो ट्रेंड कर रहा है.

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इसी क्रम में कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग राष्‍ट्रीय संयोजक प्रदीप नरवाल ने भी इस मामले को उठाया है. उन्‍होंने लिखा, ‘दलित,पिछड़ें,आदिवासी समाज के साथ शैक्षणिक संस्थानों में हो रहा भेदभाव जातिवाद को स्थापित कर रहा है. आज हमें समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के साथ खड़ें होने की जरूरत है. जाति कभी नहीं जाती’.

 

पूर्व सांसद और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता उदित राज ने भी इस मामले को उठाया है. उन्होंने ट्वीट कर कॉलेज की प्रिंसिपल पर आरोप लगाते हुए लिखा कि वो दलित (Dalit) टीचर को क्लास नहीं लेने दे रही हैं.

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वहीं अगर दूसरे मामले की बात करें तो यह दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज का है. इसको लेकर भी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने वीसी से रिपोर्ट तलब की है और कार्रवाई की जानकारी देने को कहा है. इसमें इंग्लिश विभाग में एक एसटी कैंडिडेट को असिस्टेंट प्रोफेसर-एडहॉक पर जॉइनिंग ना देने का आरोप है.

हालांकि, दयाल सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पवन शर्मा का कहना है कि यह पूरा मामला गवर्निंग बॉडी के अधीन है. मंजूरी मिलते ही जॉइनिंग मिल जाएगी. 60 टीचर्स को जॉइनिंग नहीं मिली है. आयोग ने अपने 28 अगस्त की इस लेटर में कहा है कि तय समय पर जवाब ना देने पर वो एक्शन लेगी.

उल्‍लेखनीय है कि सरकारी संस्‍थानों में दलितों के साथ भेदभाव का यह कोई नया मामला नहीं है. इससे पहले भी देश के प्रतिष्ठित मेडिकल संस्‍थान एम्‍स में भी ऐसा गंभीर मामला सामने आया था.

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