पा रंजीथ: एक सफल दलित डायरेक्‍टर, जिन्‍होंने फिल्‍मों में जाति पर विमर्श के रास्‍ते खोले

निर्देशक, निर्माता, कार्यकर्ता और फिल्म निर्माता पा रंजीथ (Pa Ranjith) ने भारतीय घरों में जाति पर चर्चा-विमर्श करने के रास्‍ते खोले हैं. रंजीथ ने चार फिल्मों का निर्देशन किया है, जो सभी तमिल में हैं. ये सभी काफी प्रसिद्ध फ‍िल्‍में हैं. इनके नाम हैं काला, कबाली, मद्रास और अटाकथी. रंजीथ द्वारा डायरेक्‍ट किया जा रहा अगला वेंचर है हिंदी में बिरसा मुंडा पर एक बायोपिक.

उन्होंने अपने बैनर ‘नीलम प्रोडक्शंस’ (Neelam Productions) के तहत फिल्म निर्माण में प्रवेश किया और डॉ. शू-मेकर (Dr. Shoe Maker) और बिवेर ऑफ कास्ट्स : मिर्चपुर (Beware of Castes: Mirchpur) शीर्षक से दो डॉक्‍यूमेंट्री बनाईं.

उन्होंने मारी सेल्वराज की फीचर फिल्म Pariyerum Perumal भी बनाई. रंजीथ ने नीलम कल्‍चरल सेंटर की भी स्थापना की, जो सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है… वानम, तीन दिवसीय कला उत्सव, कोगई फिल्म मूवमेंट, सिनेमा और साहित्य के बीच एक पुल, द कास्टलेस कलेक्टिव, ए कोलैबरेटिव बैंड और अन्य इवेंट.

उन्‍हें फिल्मों को दुनिया भर से प्रशंसा मिली है. इस तरह वह एक युवा दलित फिल्म निर्माता है.

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