Dalit Sahitya

मैं जानता हूं, मेरा दर्द तुम्हारे लिए चींटी जैसा… ओमप्रकाश वाल्‍मीकि (Om Prakash Valmiki)

मैं जानता हूं मेरा दर्द तुम्हारे लिए चींटी जैसा और तुम्हारा अपना दर्द पहाड़ जैसा -ओमप्रकाश वाल्‍मीकि (Om Prakash Valmiki) 

4 years ago

देखो शोर हो रहा, फिर कोई ‘अछूता’, कहीं मरा-कुचला, जरूर होगा!

Rohan Kajaniya Achuta : लेखक रोहन कजानिया 'अछूता' को साहित्य से विशेष रूप से हिंदी दलित साहित्य (Hindi Dalit Sahitya)…

4 years ago

मैं अछूत हूं, छूत न मुझमें, फिर क्यों जग ठुकराता है? : स्वामी अछूतानंद ‘हरिहर’

स्वामी अछूतानंद ‘हरिहर’ (Swami Achyutanand Harihar) ने डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) के साथ मिलकर दलितों (Dalits) के लिए…

4 years ago

झाड़ू जलाते हुए, कलम उठाते हुए, हम शासक बनने की ओर अग्रसित हैं… पढ़ें, सूरज कुमार बौद्ध की कविता

पढ़ें, Suraj Kumar Bauddh द्वारा लिखित कविता झाड़ू जलाते हुए, कलम उठाते हुए, हम शासक बनने की ओर अग्रसित हैं.…

4 years ago

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