दलित उत्‍पीड़न

Kerala Dalit Student Suicide: जाति और पारिवारिक हालात पर बेइज्‍जत करता था टीचर, पुलिस ने भी नहीं सुनी, दलित छात्रा ने कर ली खुदकुशी

केरल (Kerala) के तिरुवनंतपुरम में नेमम विक्ट्री गर्ल्स हायर सेकेंडरी की 10वीं कक्षा की दलित छात्रा अथिरा (Dalit Student Suicide) की अपने स्कूल में जातिगत भेदभाव के बाद आत्महत्या कर ली. उसके परिवार ने दावा किया है कि दलित छात्रा (Dalit Atrocities) को पिछले डेढ़ साल से अपने शिक्षक के हाथों लगातार उत्पीड़न और अपमानजनक व्यवहार सहना पड़ रहा था. अथिरा इस शुक्रवार को आखिरी बार स्कूल गई. परिवार का दावा है कि वह अपने शिक्षक द्वारा उत्पीड़न की एक और घटना के बारे में बताने के लिए घर वापस आई. शिक्षक को संदेह हुआ कि छात्र के पास मोबाइल फोन है, उन्होंने सार्वजनिक रूप से अथिरा के बैग की तलाशी ली, लेकिन उसके बैग में ऐसा कुछ नहीं मिला. नतीजतन, छात्रा अपनी मां को सिरदर्द होने की बात कहकर सोमवार को स्कूल नहीं गई.

उसके परिवार ने बताया कि बच्ची ने कई बार अपनी मां और बहन को बताया था कि उसके शिक्षक ने उसकी जाति और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में अपमानजनक टिप्पणी (derogatory remarks about caste) करने के अलावा सोना पहनने पर उसका मजाक उड़ाया था.

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एक रिपोर्ट के अनुसार, परिवार के सदस्यों ने कहा कि आत्महत्या के दिन, 15 वर्षीय लड़की ने पुलिस स्टेशन को फोन करके शिकायत की कि शिक्षक के जातिवादी भेदभाव (casteist discrimination) के कारण वह स्कूल नहीं जा सकी.

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घटना के संबंध में, भीम आर्मी केरल (Bhim Army, Kerala) के अध्यक्ष रतीश पथानामथिट्टा, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार, कोट्टायम जिला अध्यक्ष सरवनन और राज्य समिति के सदस्य लेनिन ने अथिरा के माता-पिता से मुलाकात की और परिवार को भीम आर्मी के सभी समर्थन का आश्वासन दिया.

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भीम आर्मी केरल के अध्यक्ष रतीश पथानामथिट्टा ने मकतूब से कहा कि “भले ही अथिरा ने उस दिन संबंधित पुलिस स्टेशन को फोन किया और शिकायत की कि वह जाति उत्पीड़न के कारण स्कूल नहीं जा सकती, लेकिन उसे पुलिस स्टेशन से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. शुक्रवार को उसने आत्महत्या कर ली. उसकी मौत के 3 दिन बाद भी, पुलिस अभी तक इस “हत्या” के लिए जिम्मेदार अपराधी शिक्षक को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. यहां के दलित-आदिवासी समुदाय (Dalit-tribal community) को वह कानूनी सुरक्षा भी नहीं मिलती जो केरल (Kerala) में एक आवारा कुत्ते को मिलती है. केरल दलितों के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है,’

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