फुले का आरोप है कि दरोगा अनुभव प्रताप सिंह ने उन्हें लगातार गालियां दी और कई राउंड घुमाता रहा.
नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) को लेकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं और योगी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है. साथ घटनास्थल पर पहुंचने की कोशिश कर रहे नेताओं के साथ पुलिस-प्रशासन का बर्ताव भी सरकार को घेरे में डाल रहा है. न केवल विपक्षी दल, बल्कि आम लोग भी इसे सरकार का गलत नजरिया बता रहे हैं. कांग्रेस (Congress) महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) को सीतापुर में नजरबंद रखे जाने, भीम आर्मी (Bhim Army Chief) चीफ चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) को रास्ते में रोके जाने और गलत पुलिसिया बर्ताव सरीखे मामलों के बीच पूर्व बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले (Savitri Bai Phule) को हिरासत में लेते वक्त उनके उनके साथ अभद्रता का वीडियो सामने आ रहा है. लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जा रहीं दलित महिला नेता (Dalit Woman Leader) को पुलिसकर्मियों ने बालों से खींचकर, धक्का देकर गाड़ी में बिठाया.
सावित्री बाई फुले के साथ पुलिस की इस अभद्रता का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह यूपी पुलिस (UP Police) की महिला पुलिसकर्मी पूर्व बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले को घसीटते हुए ला रही हैं और उनके विरोध जताने पर उनके साथ बेहद बुरा व्यवहार किया गया. उनके बाल पकड़कर खीचें गए. उन्हें जबरन धक्का मारते हुए पुलिस की गाड़ी में बिठाया गया. यूपी पुलिस ने उन्हें कई घंटों तक हिरासत में रखा, फिर बाद में छोड़ा गया.
बता दें कि भाजपा के टिकट से जीतकर बहराइच की सांसद बनीं सावित्री बाई फुले (Savitri Bai Phule) ने पार्टी में रहते हुए ही बगावत कर दी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा (BJP) पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी. हालांकि बाद में वह कांग्रेस से जुड़ीं, लेकिन पूर्व सांसद ने कांग्रेस का हाथ यह कहकर झटक दिया कि यह पार्टी भी भाजपा की तरह अनुसूचित जाति की विरोधी विचारधारा वाली है.
सावित्री बाई फुले ने एक वेबसाइट को बातचीत में बताया कि लखीमपुर खीरी में जिन किसानों की मौत हुई है, उनमें से एक उनका परिचित था, जिसे मिट्टी देने के लिए वो उनके घर जा रही थीं. उन्होंने कहा कि,”मेरे साथ बहुत बदतमीजी की गई. हम केवल 3 लोग ही गाड़ी में थे. पुलिस ने हमसे कहा कि आप वहां नहीं जा सकते. इसके बाद हमारे चाचा जी को डंडा मार दिया गया और जब मैंने इसका विरोध किया तो महिला पुलिस को बुलाया गया और मेरे साथ अभद्रता की गई. मुझे थप्पड़ मारे गए, मेरे बाल खींचे गए और गाड़ी में भी बहुत कुछ बदतमीजी की. उन्होंने कहा कि सिर्फ पुलिस का कानून चलेगा, संविधान-संविधान चिल्लाती रहती हो. अनुभव प्रताप सिंह, जो दरोगा था उसने मुझे गालियां दीं. मुझे पीठ और जांघ में चोट लगी है.”
फुले का आरोप है कि दरोगा अनुभव प्रताप सिंह ने उन्हें लगातार गालियां दी और कई राउंड घुमाता रहा. उन्होंने कहा कि ‘कई घंटे बाद एक थाने में मुझे नजरबंद कर दिया गया. शाम 6 बजे मेरी कोरोना जांच कराई गई और इसके बाद मैं जमानत लेकर बाहर आ सकी. मैं विधायक और सांसद रह चुकी हूं. मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है.
बीजेपी की ही पूर्व नेता और एक दलित महिला नेता के साथ इस तरह का व्यवहार होने पर यूपी पुलिस और योगी सरकार सरकार की खूब आलोचना हो रही है. खुद कांग्रेस (Congress) नेता प्रियंका गांधी ने भी सावित्री बाई फुले का वीडियो ट्वीट किया और उनके साथ हुए इस व्यवहार की निंदा करते हुए लिखा, सावित्री बाई फुले तुम्हारे साथ इस तरह का व्यवहार देखकर दुख हुआ. लड़ती रहो, डटी रहो.
उधर, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने भी Savitri Bai Phule के साथ हुई इस अमानवीयता की जमकर आलोचना करते हुए लिखा, ‘ये योगी के रामराज्य की एक झांकी है. संविधान राज खत्म करके मनुस्मृति राज लाने की संघी रणनीति पर काम चालू है. एक पूर्व महिला सांसद के साथ ऐसा बर्ताब क्रूर शासक के जंगलराज में ही संभव है. योगी जी, क्या वास्तव में UP में लोकतंत्र बचा है?’
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