दलित पॉलिटिक्‍स

संविधान में समाजवाद शब्‍द इस BJP सांसद को है नामंजूर, हटवाने को पेश किया प्राइवेट बिल, हुआ विरोध

नई दिल्‍ली : IAS की नौकरी छोड़कर बीजेपी सांसद बने केरल निवासी के जे अल्फोंस (K J Alphons) ने संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session 2021) के दौरान बीते शुक्रवार को एक प्राइवेट मेंबर बिल को पेश किया. इस बिल के जरिये उन्‍होंने प्रस्‍तावित किया कि संविधान की प्रस्तावना (Preamble to the Constitution) में वर्णित ‘समाजवाद’ (Samajvad) शब्द को हटाकर उसकी जगह ‘न्यायसंगत’ शब्द किया जाए. उनका यह बिल सदन में मुंह के बल आ गिरा, जब इसके विरोध में विपक्षी सांसदों ने आवाज़ बुलंद कर दी. नतीजा, उप सभापति द्वारा बिल को रिजर्व रख दिया गया.

दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान से बीजेपी (BJP) के सांसद के जे अल्फोंस (Alphons Kannanthanam) ने बीते 3 दिसंबर को उच्‍च सदन राज्‍यसभा (Rajya Sabha) में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में यह संविधान संशोधन बिल (Constitution Amendment Bill) पेश किया था. उनके इस बिल पर उप सभापति ने सदन का ध्वनिमत जानना चाहा. इसके विरोध में विपक्षी दलों के सांसदों ने नो यानि नहीं के पक्ष में ज्यादा आवाज लगाई.

राष्‍ट्रीय जनता दल नेता मनोज झा (RJD MP Manoj Jha) ने इस बिल पर कहा कि यह भारतीय संविधान (Indian Constitution) की आत्मा पर चोट है और सदन इसे पेश करने की अनुमति देकर संसदीय परंपरा को कलंकित ना किया जाए. साथ ही उन्‍होंने उल्‍लेखित किया किया कि सदन संचालन प्रक्रिया के नियम संख्या 62 में ऐसे प्राइवेट बिल राष्ट्रपति की सहमति के बिना पेश नहीं किए जा सकते. उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि “नियम 62 के अनुसार, ऐसा कोई बिल जो संविधान संशोधन से जुड़ा है तो उसे राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी या सिफारिश के बिना पेश नहीं किया जा सकता है एवं सदस्य द्वारा उपरोक्‍त मंजूरी या सिफारिश को नोटिस के साथ संलग्न किया जाएगा. यह एक मंत्री के माध्यम से सूचित किया जाएगा और नोटिस तब तक वैध नहीं होगा जब तक कि इस आवश्यकता का अनुपालन नहीं किया जाता.”

इस पर उप सभापति ने सदन में स्पष्ट किया कि इस बिल के साथ राष्ट्रपति की मंजूरी या सिफारिश नहीं है. इसके साथ ही उप सभापति ने बीजेपी सांसद के ले अल्‍फोंस बोलने को इजाजत नहीं दी और कहा कि सदन को इस बिल पर आपत्ति है, लिहाजा इस मामले में चेयर कोई फैसला नहीं लेगा बल्कि सदन तय करेगा. इस प्राइवेट बिल पर सदन में जमकर हंगामा भी हुआ तो उपसभापति से बिल को रिजर्व रखने की सलाह दी गई, जिसे सभी ने मान लिया और उस बिल को रिजर्व रख लिया गया.

वहीं, नेता विपक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने के जे अल्फोंस (K J Alphons) के इस बिल पर कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा संविधान बदलने की एक चोरी कल संसद में पकड़ी गयी, जब इन्होंने संविधान की प्रस्तावना जिसे इसकी आत्मा कहा जाता है उसमें से “समाजवादी” शब्द को हटाने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया, लेकिन हमारे सजग और सतर्क सदस्यों ने कड़ा विरोध कर इस विधेयक को वापस कराया.

 

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उधर, आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (ChandraShekhar Azad) ने K J Alphons द्वारा पेश बिल के संज्ञान में आने के बाद इसकी निंदा की. उन्‍होंने कहा, यह शर्म की बात है कि भाजपा सांसद के. जे. अल्फोंस बाबासाहेब के संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी शब्द को संसद में बिल लाकर हटाना चाहते हैं. जबकि हमारे संविधान की नैतिकता और हृदय ही समाजवाद है. यह यूपी में डूबती हुई भाजपा सरकार से ध्यान हटाने का एक प्रयास है. संविधान विरोधी भाजपा.

 

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