रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ (Ramashankar Yadav Vidrohi) (3 दिसम्बर 1957 – 8 दिसंबर 2015) हिंदी के लोकप्रिय जनकवि रहे. प्रगतिशील परंपरा के इस कवि की रचनाओं का एकमात्र प्रकाशित संग्रह ‘नई खेती’ है. विद्रोही मुख्यतः प्रगतिशील चेतना के कवि रहे. उनकी कविताएं लंबे समय तक अप्रकाशित और उनकी स्मृति में सुरक्षित रही. वे अपनी कविता सुनाने के अंदाज के कारण बहुत लोकप्रीय रहे. वे स्नातकोत्तर छात्र के रूप में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से जुड़े. यह जुड़ाव आजीवन बना रहा.
मैं किसान हूँ
आसमान में धान बो रहा हूँ
कुछ लोग कह रहे हैं
कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता
मैं कहता हूँ पगले!
अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है
तो आसमान में धान भी जम सकता है
और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा
या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा
या आसमान में धान जमेगा.
-रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ (Ramashankar Yadav Vidrohi)
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