सफल दलित

दलित बिजनेसवुमेन कल्‍पना सरोज: 2 रुपये की नौकरी से लेकर 750 करोड़ ₹ टर्नओवर की कंपनी का सफर

देश में ऐसे कई दलित भी हैं, जिन्‍होंने संघर्षों का सामना कर सफलता की नई कहानी लिखी हैं. जीवन में कठिन संघर्ष हालातों को पार करने के बाद उन्‍होंने सुनहरे भविष्‍य की ओर कदम रखा और फर्श से अर्श तक का सफर तय किया और दूसरे दलितों के लिए आदर्श बन रहे हैं. इन्‍हीं में से एक नाम हैं कल्‍पना सरोज का. कल्‍पना ने जीवन में कठिन दौर देखा और आज वह एक सक्‍सेसफुल बिजनेसमैन हैं, जिनकी कंपनी का टर्नओवर करोड़ों का है. यहां तक की उन्‍हें पद्मश्री पुरस्‍कार भी मिल चुका है.

दलित बिजनेवुमेन कल्‍पना सरोज (Dalit Business Woman Kalpana Saroj)

पहले आपको बता दें कि कल्‍पना सरोज मुंबई स्थित कंपनी कमानी ट्यूब्‍स की चेयरपर्सन हैं. अब बात करते हैं उनकी जिंदगी की. कल्‍पना सरोज का जन्‍म महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में हुआ. उनके पिताजी पुलिस में हवलदार थे.

कल्‍पना का ब्‍याह 12 साल की उम्र में ही हो गया. इसके बाद वह मुंबई के एक स्‍लम इलाके में रहने लगीं. उनके लिए शादी के बाद का जीवन बेहद कठिन था. ससुरालवाले उन्‍हें बहुत परेशान करते थे. इससे मजबूर होकर उन्‍हें अपने पिता के घर वापस लौटना पड़ा.

इसके बाद उन्‍होंने अपने चाचा के पास मुंबई जाने का फैसला किया. उन्‍हें सिलाई का काम आता था. इस वजह से उनके चाचा एक कपड़ा मिल में काम दिलाने ले गए, लेकिन हड़बड़ाहट में वह वहां सिलाई की मशीन नहीं चल पाई और मिल मालिक ने पहले तो काम देने से मना कर दिया, लेकिन बाद में रोजाना 2 रुपए के मेहनताने पर धागा काटने का काम दे दिया.

इसी बीच अचानक उनकी बहन बहुत बीमार रहने लगी. इलाज के लिए पैसे न होने की वजह से उनकी मौत हो गई. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी गरीबी को खत्‍म कर देंगी. लिहाजा, पहले उन्‍होंने घर में कुछ सिलाई मशीनें लगाईं और बाद में कुछ पैसे जोड़कर एक छोटा सा फर्नीचर बिजनेस शुरू कर लिया. इस दौरान उन्‍होंने 1 लाख रुपये में एक विवादित प्‍लॉट खरीदा. इसकी कीमत बाद में 50 लाख रुपये हो गई. कल्पना ने इस पर कंस्ट्रक्शन कराने के लिए एक बिजनेसमैन से पार्टनरशिप की.

मुनाफे में से 65 फीसदी रकम कल्पना को मिली. इससे उन्होंने 4.5 करोड़ रूपए कमाए. बाद में वह कर्ज में डूबी कमानी ट्यूब्‍स से जुड़ीं. उन्‍होंने उसे प्रोफिटेबल कंपनी बना दिया. साल 2006 में वह इसकी मालिक बन गईं. आज उनकी कंपनी 750 करोड़ टर्नओवर की कंपनी बन गई है. उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में पद्मश्री सम्मान भी दिया गया.

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