जयंती विशेषः आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे आंबेडकर, एक मसौदे के कारण छोड़ा था पद

नई दिल्ली. भारतीय इतिहास में 14 अप्रैल का दिन बहुत ही खास है. इस दिन दलितों की आवाज बनने वाले और भारतीय संविधान का निर्माण करने वाले बाबा साहेब आंबेडकर (Bhim Rao Ambedkar) का जन्म हुआ था. आजादी के बाद संविधान लागू होने के कारण ही भारतीय समाज को एक निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली.

सवर्ण, दलित, मुस्लिम सभी नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर को संविधान निर्माता और शिल्पकार माना जाता है. आंबेडकर जयंती पर आइए जानते हैं संविधान में उनके योगदान के बारे में…

1947 में संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बने

– आंबेडकर को 29 अगस्त 1947 को संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था. संविधान के निर्माण के वक्त आंबेडकर का मानना था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को बराबर करना महत्वपूर्ण है.

– यदि ऐसा नहीं होता है तो भारत की एकता को एक मुट्ठी में करना नामुमकिन होगा.

– यही कारण है कि उन्होंने धार्मिक, लिंग और जाति समानता पर जोर दिया था. देश के विभिन्न वर्गों में रहने वाले लोगों के बीच संतुलन बनाने के लिए आंबेडकर द्वारा दिए गए सुझाव के बाद ही आरक्षण की प्रणाली की शुरुआत हुई.

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– शुरुआत में संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी में बाबा साहेब आंबेडकर का नाम नहीं था. हालांकि बाद उनकी राजनीतिक योग्यता और कानूनी दक्षता के कारण उन्हें न सिर्फ ड्राफ्टिंग कमेटी में शामिल किया गया बल्कि इसका अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया.

संविधान में बाबा साहेब का अहम योगदान

– बाबा साहेब आंबेडकर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे.

– हालांकि आंबेडकर इस पद पर ज्यादा दिनों तक नहीं रहे. 1951 में संसद में अपने ‘हिन्दू कोड बिल’ मसौदे को रोके जाने के बाद आंबेडकर ने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया.

– हिन्दू कोड बिल मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी.

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