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जातिगत भेदभाव का आरोप लगाती दलित जज की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया, कहा…

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कर्नाटक (Karnataka) के एक दलित (Dalit) जिला जज द्वारा कथित जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि “यह 11वें घंटे में दायर की गई थी”.

दलित न्यायाधीश (Dalit judge), आर के जी एमएम महास्वामीजी (RKGMM Mahaswamiji) ने कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) कॉलेजियम के उस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उसकी सीनियरिटी को नज़रअंदाज कर उनके जूनियर को प्रमोट किया गया था.

नेशनल हेराल्‍ड के अनुसार, अपनी याचिका में शिवमोग्गा के प्रधान जिला न्यायाधीश महास्वामीजी ने कर्नाटक हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनकी वरिष्‍ठता की अनदेखी कर कर्नाटक उच्च न्यायालय के लिए “जूनियर डिस्ट्रिक्ट जज” पद्मराज एन देसाई की सिफारिश की.

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मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, नियुक्ति को चुनौती देते हुए जस्टिस देसाई के शपथ लेने से करीब आधे घंटे पहले दलित जज ने सुप्रीम कोर्ट से संपर्क किया.

महास्वामी जी ने अपनी याचिका में तर्क दिया देते हुए कहा कि कॉलेजियम की सिफारिश “वैधानिक नियमों / प्रशासनिक निर्देशों के स्पष्ट उल्लंघन में” थी. “यह वरिष्ठ जिला न्यायाधीश (जो आरक्षित श्रेणी (यानी, अनुसूचित जाति) के तहत 25.02.2008 को नियुक्त किया गया था) के कनिष्ठ जिला न्यायाधीश द्वारा सुपरसीडिंग/पासिंग का मामला है… सिफारिश में पूर्वाग्रह और बदनीयत थी. और अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समानता) के तहत याचिकाकर्ता के गारंटीकृत कार्यात्मक अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करती है.

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याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने यह कहते हुए किसी भी निर्देश को पारित करने से मना कर दिया कि याचिकाकर्ता ने “ग्यारहवें घंटे” में अदालत का दरवाजा खटखटाया.

यहां यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जुलाई 2019 में उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा न्यायमूर्ति देसाई के नाम को मंजूरी दे दी गई थी और इस वर्ष की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित किया गया था. केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को शपथ ग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की थी.

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सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो…

विशेषज्ञों के अनुसार, हाईकोर्ट कॉलेजियम में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ-साथ राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद नामों की सिफारिश करती है.

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