जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण (Rajasthan Reservation) का मुद्दा गरमाया है. अब मेव जातियों ने आरक्षण के लिए ताल ठोकी है. मेव जातियों की मांग है कि उन्हें एमबीसी आरक्षण के तहत आरक्षण की सूची में शामिल किया जाए.
इस मुद्दे को नगर विधायक वाजिब अली (Wajib Ali) ने विधानसभा में उठाया है. वाजिब अली ने सदन में कहा कि मेव, लुहार, मिरासिन, मियां, कुरैशी, गद्दी जाति पिछड़ी हैं. सरकार सर्वे करवाकर एमबीसी आरक्षण में शामिल करे. साथ ही उन्होंने एमबीसी का दायरा बढ़ाकर 10 फीसदी करने की मांग की है.
सदन में विधायक ने कहा कि अलवर और भरतपुर क्षेत्रों में प्रमुख रूप से निवास करने वाली मेव जाति शिक्षा, रोज़गार और अन्य मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों के लिहाज़ से काफी पिछड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि इन जातियों के लोग खेती और पशुपालन का कार्य कर अपना जीवन गुज़र-बसर कर रही है और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई है इसीलिए उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए.
वाजिब अली के बयान से नाराज हुआ गुर्जर समाज
वाजिब अली के इस बयान के बाद गुर्जर समाज (Gurjar community) नाराज हो गया है. गुर्जर नेता शैलेंद्र सिंह ने चेतावनी दी है कि ‘एमबीसी के आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. गुर्जर समाज किसी सूरत में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा. गुर्जर समुदाय को चेतावनी देते हुए सरकार से कहा है कि एमबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
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मेव जातियों को एमबीसी में आरक्षण नहीं
वाजिब अली की इस मांग के बाद गुर्जर नेता विजय बैंसला का कहना है कि मेव जाति सामाजिक लिहाज से पिछड़ी हो सकी हैं, उन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन एमबीसी में नहीं.
श्री @aliwajib मेव जाती पिछड़ी हो सकती है & हमें खुशी होगी के इन्हें भी आरक्षण मिले, लेकिन MBC में नहीं- आप नई केटेगरी बनवाकर अलग से आरक्षण ले लीजिये🙏@ashokgehlot51 #MBC में छेड़छाड़ न करें, यह 73 वीरों की शहादत + समाज के त्याग से प्राप्त हुआ है #MBC_में_छेड़छाड़_बर्दाश्त_नहीं pic.twitter.com/yzr7qGNxSu
— Vijay Bainsla | विजय बैंसला (@VijaySBainsla) March 19, 2021
आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है सरकार
बता दें कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार आरक्षण सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है. गत दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इसके संकेत दिए थेय सरकार ने 1992 के इन्दिरा साहनी प्रकरण में आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत सीमा सम्बन्धी निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता जताई थी.