नई दिल्ली/हिसार : हरियाणा (Haryana) के मिर्चपुर कांड (Mirchpur Kand) के बाद गांव से अपना घर-परिवार छोड़ने को मजबूर हुए दलित (Dalit) समाज के लोगों को आज भी क्या-क्या नहीं झेलना पड़ रहा. जातिवादी उत्पीड़न (Caste Oppression) की इस निर्मम घटना को झेलने वाले 250 से अधिक परिवार आज सरकारी उदासीनता के चलते नरक से बदतर जीवन जीने को मजबूर हो चले हैं. उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं. ना सरकार, ना प्रशासन. मॉनसून ने तो जैसे उनके लिए जीवनयापन की तमाम मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, ऊपर से सरकारी उदासीनता ने इस जख्म पर नमक डालने जैसा काम किया है.
दरअसल, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (Human Rights Law Network) की एक टीम ने गांव ढंडूर में बनी मिर्चपुर पीड़ितों (Mirchpur Victims) की बस्ती में दौरा किया. यहां मिर्चपुर पीड़ितों ने अपने रहने के लिए अस्थाई टेंट बना रखे हैं. वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की इस पांच सदस्यीय टीम ने जो देखा वह बेहद दुखद था. यहां तेज बारिश व हवा के चलते लगभग सभी टैंट तबाह हो चुके हैं.
पीड़ित वाल्मीकि समुदाय के लोगों के तंबुओं के अंदर पानी घुस गया है, जिसके चलते वहां पीड़ितों का जीना दुभर हो चला है. पीड़ितों का खाना, जरूरी सामान, बिस्तर, कपड़े सबकुछ पानी में खराब हो चुके हैं. तंबू में बनी रसोईयां में भी पानी भर गया है, जिसके चलते वह अपना खाना भी नहीं बना पा रहे हैं .
अधिवक्ता रजत कलसन (Advocate Rajat Kalsan) के नेतृत्व में यहां का जायजा लेने पहुंची इस टीम को पीड़ितों ने बताया कि पिछले 5 दिनों से बिजली की सप्लाई बंद है तथा पानी के टैंकर भी आने बंद हो गए हैं, जिस बारे में प्रशासन के अधिकारियों से गुहार और चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर हो गई है.
इस मामले में अधिवक्ता रजत कलसन ने तुरंत हिसार के उपमंडल अधिकारी नागरिक से संपर्क कर उन्हें मिर्चपुर पीड़ितों की बस्ती में बिजली व पानी की सप्लाई शुरू कराने के लिए कहा. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया तथा बिजली विभाग के कार्यकारी अभियंता ने टीम को इतला कर बताया कि शाम तक बिजली की सप्लाई बहाल कर दी जाएगी व उपमंडल अधिकारी नागरिक ने बताया कि पानी के टैंकरों से बस्ती में पानी सप्लाई भी शुरू कर दी जाएगी.
दरअसल, मिर्चपुर कांड (Mirchpur Kand) के बाद पीड़ित वाल्मीकि परिवारों (Valmiki Families) ने जनवरी 2011 में गांव से पलायन कर दिया था. उसके बाद यह पीड़ित 10 साल तक वेदपाल तंवर के तंवर फार्म हाउस पर रहे. जून 2011 में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई और 2014 में उक्त याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में ट्रांसफर कर दिया, जो अभी विचाराधीन है.
वकील रजत कलसन (Advocate Rajat Kalsan) ने बताया कि उस याचिका में हमने मिर्चपुर के पीड़ितों के पुनर्वास की मांग की थी, परंतु जब यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार और अब भाजपा सरकार दोनों ने मिर्चपुर पीड़ितों (Mirchpur Victims) के अलग जगह पर पुनर्वास का विरोध किया, लेकिन हम लोगों ने लगातार अपने धरना-प्रदर्शन जारी रखें और अदालतों में भी लगातार पुनर्वास के लिए पैरवी की, जिसके चलते हरियाणा सरकार (Haryana Govt) को मिर्चपुर के पीड़ित वाल्मीकि समाज (Victims of Mirchpur Valmiki Samaj) के लोगों को रहने के लिए जगह देनी पड़ी और हिसार (Hisar) के ढंडूर गांव (Dhandoor Village) के पास करीबन 258 परिवारों को रहने के लिए प्लॉट दिए गए हैं. इन प्लॉटों की एवज में हरियाणा सरकार मिर्चपुर पीड़ितों के गांव के घरों को सरकारी कब्जे में ले लिया है तथा इन प्लॉटों की एवज में उन्हें किस्तें भी देनी पड़ रही हैं.
कलसन ने कहा कि प्लॉट तो मिर्चपुर (Mirchpur Kand) के पीड़ितों को मिल गए हैं, लेकिन वहां पर रहने के लिए जरूरी सुविधाएं जैसे पानी, बिजली, बच्चों के लिए स्कूल, सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी का अभी तक कोई इंतजाम नहीं है.
इसके साथ ही बुनियादी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र ,रिहायशी प्रमाण ,फैमिली आईडी, राशन कार्ड जैसी जरूरी दस्तावेज भी इन लोगों के आज तक नहीं बने हैं, जिसके चलते ना तो इनके बच्चे स्कूलों में एडमिशन ले पा रहे हैं, ना ही इनके बिजली व पानी के कनेक्शन वगैरह लग सके हैं.
कलसन ने कहा कि जल्द ही इस बारे में वे पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर हाईकोर्ट के समक्ष मांग रखेंगे कि हरियाणा सरकार को आदेश दिए जाए कि मिर्चपुर (Mirchpur Kand) पीड़ितों के लिए बस्ती में बिजली, पानी की सुविधा उनके लिए कम्युनिटी सेंटर, पुलिस चौकी स्कूल, डिस्पेंसरी की सुविधा उपलब्ध कराई जाए. साथ ही जिला प्रशासन को निर्देश दिए जाएं कि पीड़ितों के राशन कार्ड, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, रिहायशी प्रमाण, पत्र व फैमिली आईडी बनवाई जाए.
इस मौके पर अधिवक्ता दीपक सैनी ,अधिवक्ता मलकीत सिंह, अधिवक्ता प्रवेश महिपाल, एक्टिविस्ट अजय भाटला, रामकुमार, रमेश व पीड़ितों में रमेश, दिलबाग, गुलाब सिंह ,तिलकराज व अन्य पीड़ित महिलाएं व पुरुष मौजूद थे.