दलित विमर्श/ब्‍लॉग

कोरोना वायरसः भूख से बेहाल दलितों पर पड़ी दोहरी मार

नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. लोगों को न तो दवाई मिल रही है, न ऑक्सीजन और न ही डॉक्टरी सहायता. महामारी के इस दौर में देश के दलित, गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों पर दोहरा संकट आया है.

दलित ग़रीबों के सामने ख़ुद को और अपने परिवार को भूख की मार से बचाने की वो जद्दोजहद है, जिसे कोई नहीं समझना चाहता. इन लोगों के पास रहने के इंतज़ाम, जीवन की दूसरी परिस्थितियों से जूझने के अलावा सरकार की तरफ़ से जारी की गई स्वास्थ्य संबंधी हिदायतों का पालन करने की वो समस्या है, जिसको कर पाना शायद नामुमिकन है.

फिर बेबस और बेसहारा है दलित!

महामारी के दौर में गौर करने वाली बात ये है कि दलित वर्ग का एक बड़ा हिस्सा आज भी आर्थिक तौर पर इतन मजबूत नहीं है कि खुद के अलावा किसी और की समस्या सुन भी सके. ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की पलायन करने वाले ये दलित खुद को एक बार फिर बेबस और बेसहारा हैं.

आजादी के वक्त बाबा साहेब आंबेडकर ने दलितों और ग़रीबों को एक सम्मानित जीवन देने की लड़ाई लड़ी थी. उनके इस संघर्ष के परिणामस्वरूप इन वर्गों का एक भाग तो लाभान्वित हुआ है, लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने बार फिर घड़ी की सुई को वहीं पर ला दिया है और दलित ‘मानवीय देह’ मात्र एक ‘बायोलॉजिकल देह’ में बदलकर रह गया है.

न तो किराया माफ हो रहा है और न ही तनख्वाह मिली

Advertisements

राजधानी दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली दलित समुदाय की ललिता का कहना है कि पिछले लॉकडाउन में तो काफी कुछ था, लेकिन इस बार न तो मकान मालिक किराया माफ कर रहा है और न ही फैक्ट्री वाले तनख्वाह दे रहे हैं. जो पैसे बचे हैं उनमें घर चलाना और 3 बच्चों को पालाना मुश्किल है.

ललिता के साथ ही उसी मकान में किराए पर रहने वाले वीनित कुमार जिनकी हाल में शादी हुई है उनका कहना है कि हालात बेकार हुए हैं. अभी तो आर्थिक स्थिति जैसे-तैसे चलने वाली है. लेकिन उन्हें अगर अपने परिवार को मदद करनी पड़ जाए तो मुश्किल हो जाएगी.

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस कोरोना में जनित नई स्थिति पर मूल्यांकन कर हमें हमारे समय द्वारा निर्मित नई-नई स्थितियों के साथ अपने को समाहित करना जरूरी है, ताकि हालात सुधर सकें. अपनी कमज़ोर स्थिति के चलते ग़रीब और समाज के हाशिए पर मौजूद तबक़ा कोरोना से संक्रमित होने के सबसे बड़े जोख़िम से जूझ रहा है. इसके बावजूद उसके लिए इससे बचने की जंग सबसे कठिन है.

dalitawaaz

Dalit Awaaz is the Voice against Atrocities on Dalit & Underprivileged | Committed to bring justice to them | Email: dalitawaaz86@gmail.com | Contact: 8376890188

Share
Published by
dalitawaaz

Recent Posts

रोहित वेमुला अधिनियम पारित करेंगे, अगर हम सरकार में आएंगे, जानें किस पार्टी ने किया ये वादा

Rohith Vemula Closure Report: कांग्रेस ने कहा कि जैसा कि तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट किया…

1 year ago

Dr. BR Ambedkar on Ideal Society : एक आदर्श समाज कैसा होना चाहिए? डॉ. बीआर आंबेडकर के नजरिये से समझिये

लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…

1 year ago

Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर डॉ. बीआर आंबेडकर की कही गई प्रेरक बातें

Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर…

2 years ago

This website uses cookies.