कोरोना महामारी के बीच 2,000 से ज्यादा दलित छात्रों को नहीं मिली स्कॉलरशिप, पढ़ाई बीच में छूटने का सता रहा डर

हमीरपुर. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण कई लोगों के रोजगार छिन गए हैं. एक तरफ घर चलाने की समस्या है, तो दूसरी तरफ शिक्षा कैसे पूरी की जाए इसको लेकर मन में सवाल उठ रहे हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के पूर्व दशमोत्तर व दशमोत्तर के अधिकांश अनुसूचित वर्ग के छात्र स्कॉलरशिप (Scholarship for Schedule Caste Students) न मिलने से परेशान हैं.

जिला समाज कल्याण अधिकारी जागेश्वर सिंह का कहना है कि कोरोना के बावजूद राज्य सरकार द्वारा छात्रों को स्कॉलरशिप दी गई है. सरकारी आंकड़ें जारी करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व दशमोत्तर में अनुसूचित जाति के कुल 2814 छात्रों में 2765 को 69.63 लाख की धनराशि उनके खातों में भेजी गई है. उन्होंने यह भी कहा कि 49 छात्रों को स्कॉलरशिप की राशि बजट अभाव के कारण नहीं दी गई है.

क्या है दशमोत्तर में छात्रों के हालात?
वहीं, बात अगर दशमोत्तर की जाए तो यहां अनुसूचित जाति के कुल 5192 छात्र हैं. जिनमें 5065 छात्रों को दो करोड़ 78 लाख 12 हजार 800 रुपये भेजे गए हैं. अभी 127 छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं आ सकी है. जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि उन्होंने छात्रों की स्कॉलरशिप के लिए राज्य सरकार से बजट मांगा है, जैसे ही बजट आ जाएगा छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

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छात्रों को पढ़ाई बीच में छूटने का डर
एक तरफ जिला प्रशासन बजट न होने का हवाला दे रहा है, तो दूसरी तरफ अनुसूचित जाति के छात्रों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उनकी पढ़ाई बीच में न छूट जाए. छात्रों का कहना है कि महामारी के दौर में वैसे ही सुविधाओं के अभाव के कारण पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है, ऐसे में स्कॉलरशिप के पैसे नहीं मिलने से किताबें और अन्य सामान खरीदने में मुश्किलें आ रही हैं.

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