नई दिल्ली. पहचान पत्र हो, राशन कार्ड या फिर कोई अन्य सरकार दस्तावेज (Government Documents). जब भी भारत के किसी कोने में कोई व्यक्ति सरकारी दस्तावेज बनवाने का आवेदन करता है या फिर कहीं रजिस्ट्रेशन करवाता है तो उससे उसकी जाति अवश्य पूछी जाती है. अमूमन देश के सभी राज्यों में अनुसूचित जाति के लोगों को ‘दलित’ कहकर ही संबोधित किया जाता है.
सरकारी दस्तावेजों में जब कोई व्यक्ति जाति वाले कॉलम में दलित लिखता है तो उसका नाम अनुसूचित जाति की लिस्ट में आ जाता है. ऐसे में एक राज्य ने ऐसा सरहानीय कदम उठाया है, जिसको जानने के बाद हर भारतीय को गर्व होगा. कर्नाटक के सरकारी विभागों में किसी भी कागज या बातचीत में ‘दलित’ शब्द का उपयोग किया जाना (Dalit Word ban in Karnataka) बैन है. कर्नाटक सरकार द्वारा जून 2020 में एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि किसी भी मामले, सौदेबाजी, सर्टिफिकेटों आदि में दलित शब्द का उपयोग नहीं किया जाएगा.
संविधान में अनुच्छेद 341 का हवाला
राज्य सरकार ने सर्कुलर में कहा गया था कि संविधान में अनुच्छेद 341 के तहत अधिसूचित जातियों के लोगों के लिए अंग्रेजी में शेड्यूल कास्ट और अन्य सभी भारतीय भाषाओं में उसका उचित अनुवाद दिया गया है. अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के लिए इन्हीं अनुवादों का उपयोग किया जाए.
हरिजन शब्द पर भी पूरी तरह से रोक
सर्कुलर में राज्य सरकार द्वारा यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार पहले ही अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के लिए ‘हरिजन’ और ‘गिरिजन’ शब्दों के उपयोग पर रोक लगा चुकी है. इसलिए इन शब्दों का उपयोग भी ‘दलित’ शब्द के स्थान पर नहीं होना चाहिए. सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि कर्नाटक सरकार भी 2010 में ही इन शब्दों का उपयोग नहीं करने के लिए आदेश जारी कर चुकी है.