मैं जानता हूं, मेरा दर्द तुम्हारे लिए चींटी जैसा... ओमप्रकाश वाल्मीकि की दलित वेदना
हिंदी दलित कविता/साहित्य (Hindi Dalit Kavita/Sahita) की विकास-यात्रा में ओमप्रकाश वाल्मीकि (Om Prakash Valmiki) की कविताओं को एक विशिष्ट और अहम स्थान हासिल है. उनकी रचनाओं में जहां आक्रोशजनित गंभीर अभिव्यक्ति में अतीत के गहरे दंश हैं, वहीं वर्तमान की विषमतापूर्ण, मोहभंग कर देनेवाली स्थितियों को इन कविताओं में गहनता और सूक्ष्मता के साथ चित्रित किया गया है. आइये पढ़ते हैं उनकी एक ऐसी ही रचना ‘जूता’…
हिकारत भरे शब्द चुभते हैं
त्वचा में
सुई की नोक की तरह
जब वे कहते हैं-
साथ चलना है तो क़दम बढ़ाओ
जल्दी-जल्दी
जबकि मेरे लिए क़दम बढ़ाना
पहाड़ पर चढ़ने जैसा है
मेरे पांव ज़ख़्मी हैं
और जूता काट रहा है
वे फिर कहते हैं-
साथ चलना है तो क़दम बढ़ाओ
हमारे पीछे-पीछे आओ
मैं कहता हूं-
पांव में तकलीफ़ है
चलना दुश्वार है मेरे लिए
जूता काट रहा है
वे चीख़ते हैं–
भाड़ में जाओ
तुम और तुम्हारा जूता
मैं कहना चाहता हूं-
मैं भाड़ में नहीं
नरक में जीता हूं
पल-पल मरता हूं
जूता मुझे काटता है
उसका दर्द भी मैं ही जानता हूं
तुम्हारी महानता मेरे लिए स्याह अंधेरा है।
वे चमचमाती नक्काशीदार छड़ी से
धकिया कर मुझे
आगे बढ़ जाते हैं
उनका रौद्र रूप-
सौम्यता के आवरण में लिपट कर
दार्शनिक मुद्रा में बदल जाता है
और, मेरा आर्तनाद
सिसकियों में
मैं जानता हूं
मेरा दर्द तुम्हारे लिए चींटी जैसा
और तुम्हारा अपना दर्द पहाड़ जैसा
इसीलिए, मेरे और तुम्हारे बीच
एक फ़ासला है
जिसे लम्बाई में नहीं
समय से नापा जाएगा।
–ओमप्रकाश वाल्मीकि (Om Prakash Valmiki)
स्त्रोत : अब और नहीं
दलित साहित्य (Dalit literature) की 5 आत्मकथाएं, जो हर किसी को पढ़नी चाहिए
Akhilesh Yadav Dr. BR Ambedkar Poster Row : अखिलेश अपनी पार्टी के दलित नेताओं का…
Rohith Vemula Closure Report: कांग्रेस ने कहा कि जैसा कि तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट किया…
Kanshi Ram Thoughts on Elections and BJP : कांशी राम का मानना था कि चुनावों…
लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…
Ravidas Jayanti 2024 BSP Mayawati message : बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शनिवार…
Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर…
This website uses cookies.