Sweeper Asha Kandara
जोधपुर. बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Babasaheb Dr. BR Ambedkar) द्वारा आगे बढ़ने के लिए शिक्षित होने की दी गई प्रेरणा से दलित समाज (Dalit Society) नित नई ऊंचाईयां छू रहा है. तमाम सामाजिक एवं आर्थिक कठिनाईयों के बावजूद शिक्षित होकर दलित समाज के युवा प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्वल स्थान पाकर बड़े अधिकारी के रूप में चयनित हो रहे हैं. राजस्थान से भी एक ऐसी ही मिसाल सामने आई है, जिसने दलित समाज का सिर ऊंचा करने एवं युवाओं को कड़ी मेहनत कर सफल होने का प्रमाण दिया है. जोधपुर की सफाईकर्मी आशा कंडारा (Asha Kandara) ने राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा आरएएस परीक्षा- 2018 (RAS Exam- 2018) में सफलता का परचम लहराया है. राजस्थान लोकसेवा आयोग की ओर से मंगलवार रात को घोषित किए आरएएस परीक्षा-2018 के परिणामों में आशा ने 728वीं रैंक प्राप्त की है. आशा कंडारा पिछले कई बरसों से नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी के तौर पर कार्यरत है. वह जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाती हैं.
कड़ी मेहनत के बल पर आशा ने सफलता हासिल की
जोधपुर की सफाईकर्मी आशा कंडारा (Sweeper Asha Kandara) ने अपने इस कार्य के साथ अनुशासनपूर्वक पढ़ाई कर राजस्थान प्रशासनिक सेवा जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफल होकर यह साबित कर दिया कि वह किसी से कम नहीं. कड़ी मेहनत के बल पर आशा ने जो सफलता हासिल की है, उसने वह कहावत सच कर दिखाई है कि ‘कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता’. चाहे हालात कैसे भी क्यों ना हों.
Bhim Army प्रमुख एवं आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने भी ट्वीट कर आशा कंडारा को बधाई दी है. उन्होंने लिखा, बहन आशा की संघर्षों भरी जिंदगी मां सावित्रीबाई फुले जी के संघर्षों की याद दिलाती है. बहन आशा कंडारा के RAS बनने पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं. हमारा समाज बहन आशा से सीखे और संकल्प लेकर गुलामी की बेड़ियां तोड़कर शिक्षा की ओर आगे बढ़े. जय सावित्री, जय भीम.
दिन में सफाई करतीं, वक्त मिलने पर पढ़ाई करतीं
दो बच्चों की जिम्मेदारी रखने वालीं आशा ने कभी पढ़ाई करना नहीं छोड़ा. वह दिन में जोधपुर की सड़कों पर सफाई का काम करतीं और वक्त मिलने पर पढ़ाई करतीं. अपने सपनों को पूरा करने के लिए वह मेहनत करती रहीं. आखिरकार मेहनत रंग लाई और आशा कंडारा ने आरएएस परीक्षा के तमाम तीनों चरणों प्री एग्जाम, मेन एग्जाम और इंटरव्यू में सफलता हासिल की.
निजी जिंदगी भी रही कठिन
दो बच्चों की मां आशा की करीब 8 साल पहले अपने पति से अनबन हो गई थी, जिसके बाद वह पति से अलग होकर खुद अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं. बुलंद हौसलों के सहारे वह नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी की नौकरी करती रहीं और अपनी पढ़ाई को उन्होंने जारी रखा. खास बात यह भी है कि हाल ही में आशा को 12 दिन पहले ही नगर निगम में सफाईकर्मी के तौर पर स्थाई नौकरी भी मिली थी.
निगम अफसरों को देखकर जागा अधिकारी बनने का जज्बा
अपनी इस सफलता के लिए आशा कंडारा कहती हैं कि नगर निगम में काम करने के दौरान वह स्कूटी से जाती थीं. जहां पर ड्यूटी होती, वहां वह झाड़ू निकालकर साफ सफाई करतीं, लेकिन निगम अफसरों को देखकर उसके मन में भी अधिकारी बनने का जज्बा पैदा हुआ. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने आरएएस की तैयारी शुरू की. आखिरकार मेहनत रंग लाई और RAS Exam- 2018 पास कर उनका सपना पूरा हो गया.
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