किसी भी इंडस्ट्री में दलित कलाकारों के लिए मुख्यतः जातिवाद एक चुनौती है. हालांकि इनके बावजूद अपनी प्रतिभा के बल पर दलित समाज से कुछ ऐसे कलाकार भी उभरे हैं, जिन्होंने भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है.
दरअसल, जहां भारतीय सिनेमा में दलित फिल्म निर्माताओं की तुलना अभी भी ब्राह्मण या उच्च जाति के फिल्म निर्माताओं या उनकी शैली से की जाती है. कई बाधाओं और एक व्यवस्थित जातिवादी इंडस्ट्री के बावजूद देश भर के कुछ दलित कलाकार हैं, जिन्हें आपको जानना चाहिए. इन्हीं कलाकारों में से एक हैं कडुबाई देवदास खरात (Kadubai Kharat).
औरंगाबाद में रहने वालीं कडुबाई खरात भीम गीत (Bhim Geet) और अम्बेडकर शाहिरी गायक हैं. भीम गीत बाबा साहब डॉ. बी आर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) और अन्य जाति-विरोधी नेताओं के बारे में गीत हैं. बाबा साहब के बारे में गाने के उनके वीडियो वायरल होने के बाद वे जाति-विरोधी आंदोलन में एक नामी चेहरा बन गईं.
कडुबाई खरात (kadubai kharat) ने एक इंटरव्यू में कहा था, “जब मैं आठ साल की थी तब से भीम गीत गाना शुरू कर दिया था और इकतारा गाना शुरू कर दिया. मैं अपने पिता के साथ आंबेडकर भजनों में जाती थी और हम एक साथ परफॉर्म करते थे. अब मैं अपने गीतों और अपनी आवाज़ के माध्यम से आंबेडकर के विचारों और संदेशों को फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित करती हूं”.
कडुबाई कहती हैं कि मेरे माता-पिता और पति की मृत्यु के बाद, मुझे एक बार फिर से, अब भोजन के लिए, और गायन शुरू करना था. बाबा साहब का संदेश और रमाबाई का जीवन वही है जो मुझे बांधे रखता है. विशेष रूप से रमाबाई, जिन्होंने पूरे घर की देखभाल अकेले ही की थी – उन्होंने अपने बच्चों को तब भी दफनाया था, जब बाबा साहब अपनी पढ़ाई के लिए विदेश गए थे. यही हमारे दलित महिलाओं की ताकत है.”
40 साल की कडुबाई खरात सिंगल मदर हैं. वह अपनी इसी कला के माध्यम से अपनी जीविका चलाती हैं. उनकी सोशल मीडिया की प्रसिद्धि के बावजूद उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया. वह सादा जीवन जीती हैं. निजात कलेक्टिव उनके जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म पर काम कर रही है.
कडुबाई की फैन फॉलोइंग काफी अधिक हैं. उनके भीम गीतों को सुनने को लेकर बड़ी संख्या में लोग आते हैं. उनकी प्रसिद्धी का आलम ये है कि लोग गूगल पर उनका फोन नंबर तक ढूंढते दिखते हैं.