बीआर आंबेडकर

बाबा साहब से पहले इन 5 नायकों ने जलाए रखी दलित मुक्ति की मशाल

आधुनिक भारतीय इतिहास में दलित (Dalit) चेतना की जड़े खोजने जाएं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि महात्मा ज्योतिबा फुले (Mahatma Jyotiba phule) आधुनिक भारत के युगांतकारी चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं. फुले ने जाति व्यवस्था (Caste System) पर जितनी गहरी चोट की उससे पहले कोई और न कर सका. इसका कारण शायद यह भी था कि वह स्वयं शूद्र (Shudra) थे और उन्होंने जातिवाद का दंश झेला था.

फुले के बाद निश्चित ही डॉ. बीआर आंबेडकर ने दलित मुक्ति के सवाल को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में ला दिया और जो बहुजन क्रांति महात्मा फुले के साथ शुरू हुई थी, उसे उसके अंजाम तक पहुंचा दिया.

यहां यह जानना भी दिलचस्प होगा कि फुले के अतिरिक्त और कौन से लोग थे जो बाबा साहब से पहले जातिवाद पर प्रहार कर रहे थे. इनमें कुछ सवर्ण नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने जाति की घिनौनी परंपरा पर प्रहार किया. हालांकि उनके स्वर फुले या बाबा साहब की तरह तीखे नहीं थे, लेकिन जाति के खिलाफ लड़ाई में इनकी भूमिका भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती. ऐसे ही पांच महापुरुषों के बारे में बता रहा है दलित आवाज.

1- गोपाल हरि देशमुख
गोपाल हरि देशमुख लोकहितवादी के नाम से मशहूर थे. देशमुक का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. 25 वर्ष की आयु में इन्होंने प्रभाकर साप्ताहिक अखबर में लोकहितवादी नाम से लिखना शुरू किया. वह स्त्री शिक्षा के समर्थक थे और बाल विवाह, दहेज प्रथा, बहुविवाह के घोर विरोधी.

देशमुख ने अपने लेखों में जातिव्यवस्था पर निशाना साधा. उन्होंने धार्मिक रुढ़ियों की निंदा की और धार्मिक मामलों और अनुष्ठानों में किसी एक वर्ग विशेष के एकाधिकार का विरोध किया.

यह भी पढ़ें- बाबा साहब को कैसे मिला था ‘आंबेडकर’ सरनेम, जानें पूरा इतिहास

Advertisements

2- गोपाल बाबा वलंगकर
गोपाल बाबा वलंगकर उन महापुरुषों में से हैं जिन्होंने सबसे पहले अछूतों के उत्थान के लिए काम किया. वलंगकर खुद दलित थे और इनका जन्म महार जाति में हुआ था. वलंगकर फुले से प्रभावित थे और रमाबाई के परिवार से संबंध रखते थे, जिनका विवाह आगे चलकर बाबा साहब से हुआ था.

3- शिवराम जानबा कांबले
बाबा साहब से पहले अस्पृश्यता उन्मूलन आंदोलन को आगे बढ़ाने में कांबले का योगदान विशेष रहा है. कांबले ने 1903 में 51 गांवों की महारों की सभा बुलाई थी. सभा में अछूतों को सेना और पुलिस में भर्ती करने की मांग की गई थी. इसी के साथ कांबले शायद पहले समाज सुधारक थे, जिन्होंने देवदासियों के शोषण और अंधकार भरे जीवन का मुद्दा उठाया. 

यह भी पढ़ें – दलित मुक्ति के सवालों की तलाश और अंतरजातीय विवाह

4-किसन फागुजी बनसोड
किसन फागुजी बनसोड का नाम समाज सुधारकों की प्रथम पंक्ति में आता है. महार जाति में जन्मे बनसोड समाज सुधार के लिए दृढ़ संकल्प थे. वह दलित लड़कों और लड़कियों की शिक्षा के समर्थक थे. उन्होंने नागपुर में लड़कियों के लिए चोखामेला स्कूल खोला. वह प्रेस की ताकत से भी परिचित थे. उन्होंने 1910 अपनी प्रेस स्थापित की. उन्होंने निराश्रित हिंद नागरिक, विट्ठल विध्वंसक, माजुर पत्रिका और चोखामेला जैसे पत्रों को निकालना शुरू किया.

5-कोल्हापुर के शाहू महाराज
राजर्षि शाहू महाराज का नाम दलित मुक्ति के इतिहास में अमर है. महात्मा फुले से प्रेरित शाहू महाराज ने जाति व्यवस्था के खिलाफ और शिक्षा के प्रसार प्रचार के लिए उनकी कोशिशों को लंबे समय तक याद रखा जाएगा. 1902 में ही अपनी रियासत में आरक्षण लागू करने वाले वाले शाहू महाराज ने युवा अंबेडकर को भी प्रेरित किया और शुरुआती दौर में उनकी मदद भी की.

dalitawaaz

Dalit Awaaz is the Voice against Atrocities on Dalit & Underprivileged | Committed to bring justice to them | Email: dalitawaaz86@gmail.com | Contact: 8376890188

Recent Posts

रोहित वेमुला अधिनियम पारित करेंगे, अगर हम सरकार में आएंगे, जानें किस पार्टी ने किया ये वादा

Rohith Vemula Closure Report: कांग्रेस ने कहा कि जैसा कि तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट किया…

1 year ago

Dr. BR Ambedkar on Ideal Society : एक आदर्श समाज कैसा होना चाहिए? डॉ. बीआर आंबेडकर के नजरिये से समझिये

लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…

1 year ago

Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर डॉ. बीआर आंबेडकर की कही गई प्रेरक बातें

Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर…

2 years ago

This website uses cookies.