नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में फिर सरकारी दस्तावेजों (government documents) में लापरवाही का मामला सामने आया है. प्रयागराज की फूलपुर तहसील (Phulpur Tehsil) के सहसों विकासखंड में सरकारी आंकड़ों से अनुसूचित जाति के आंकड़े ही गायब हो कर दिए गए हैं.
इस तहसील में 350 से ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता हैं, इसके बावजूद सरकारी दस्तावेजों में इनकी संख्या शून्य बताई गई है. जिला प्रशासन द्वारा इस तरह की लिस्ट तैयार किए जाने के बाद स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है.
शिकायत के बावजूद नहीं होती है सुनवाई
दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार, ग्रामीणों का कहना है कि 2008 में ग्राम सभा उमरीमय टटिहरा में आरक्षित वर्ग में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान आवंटित की गई थी. दुकानों का आंवटन होने के बावजूद सरकारी आंकड़ों में अनुसूचित जाति की संख्या शून्य दिखाई गई है. एक ग्रामीण का कहना है कि इस बार में जिला पंचायत राज को लिखित में कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं होती है.
2011 की जनगणना के अनुसार ही हैं आंकड़े
वहीं, इस पूरे मामले में डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव का कहना है कि आरक्षण के लिए जो भी आंकड़े सरकारी दस्तावेजों में दिखाए गए हैं वे सभी 2011 की जनगणना के अनुसार ही हैं.
दरअसल, 2011 की जनगणना के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों की गणना की गई थी. उस जनगणना में कई गांव की एससी की आबादी को सामान्य में जोड़ दिया गया है, इसलिए अब होने वाले आरक्षण सूची में उसका असर देखने को मिल रहा है.