दलित न्‍यूज़

ये जातियां भी आना चाहती हैं OBC की लिस्ट में, आरक्षण है वजह

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक बार फिर मराठा आरक्षण को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है. मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के बहाने ही सही एक बार फिर देश में आरक्षण पर सवाल उठने लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण (Reservations) दिया जा सकता है? क्या राज्यों को यह अधिकार है कि वो किसी जाति विशेष को शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा घोषित कर सकें? इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से राय मांगी थी.

देश में सिर्फ मराठा ही नहीं बल्कि कई ऐसी जातियां हैं जो ओबीसी वर्ग में खुद को लाने की मांग कर रह हैं. मराठा के साथ ही पटेल, जाट और गुर्जर जाति के लोगों को आरक्षण चाहिए. इन सभी जातियों को ओबीसी वर्ग के तहत आरक्षण चाहिए. सभी वर्गों का कहना है कि वो पिछड़े हुए हैं ऐसे में उन्हें समाज के साथ कदम मिलाने के लिए आरक्षण चाहिए.

किस आधार पर मराठाओं को आरक्षण?
मराठाओं को आरक्षण की बात थोड़ी नई है. 2018 में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार ने गायकवाड़ कमीशन के सुझाव पर मराठों को पिछड़ा मान था. इसके तहत 16 फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी. हालांकि उस वक्त पिछड़ वर्ग के लोगों ने गायकवाड़ कमीशन की बातों को बेकार बताया था. इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा. सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए आरक्षण घटाकर नौकरी में 13 और शिक्षा में 12 फीसदी आरक्षण कर दिया गया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया.

गुर्जरों को कैसे मिला आरक्षण?
राजस्थान में अति पिछड़ों की स्टडी के लिए पहली बार 2008 में जसराज चोपड़ा कमेटी का गठन किया गया, जिसमें गुर्जर समेत पांच जातियों को अति पिछड़ा माना और 50 फीसदी से ऊपर विशेष परिस्थतियों में आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा.

इसके बाद 4 साल बाद 2012 में राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया, जिसमें आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर आरक्षण दिए जाने के लिए सरकार को कहा. इसे इसरानी आयोग के नाम से भी जाना जाता है.

2017 में तीसरी बार जस्टिस गर्ग कमेटी का गठन

Advertisements

– तीसरी बार 2017 में जस्टिस गर्ग कमेटी का गठन किया, जिसने भी अध्ययन में यह माना कि अति पिछड़ों को 50 फीसदी के ऊपर आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है.

– सवर्णों ने सुप्रीम कोर्ट ये मांग रखेगा कि जाति के आधार नहीं, बल्कि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए. आरक्षण का आधार वो पांच मापदंड रखे जाएं, जो सरकार ने ईडब्लूएस के लिए लागू किया है.

– सवाल अब यह खड़ा होता है कि अगर 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण दिया जा सकता है तो क्या किसी राज्य को यह अधिकार है कि वो किसी जाति विशेष को पिछड़ा घोषित कर दे और उस जाति को आरक्षण दे सके? अगर राज्य को यह अधिकार नहीं है तो 2018 का महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठों को दिया गया आरक्षण अपने आप अवैध हो जाएगा.

 

dalitawaaz

Dalit Awaaz is the Voice against Atrocities on Dalit & Underprivileged | Committed to bring justice to them | Email: dalitawaaz86@gmail.com | Contact: 8376890188

Share
Published by
dalitawaaz

Recent Posts

रोहित वेमुला अधिनियम पारित करेंगे, अगर हम सरकार में आएंगे, जानें किस पार्टी ने किया ये वादा

Rohith Vemula Closure Report: कांग्रेस ने कहा कि जैसा कि तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट किया…

1 year ago

Dr. BR Ambedkar on Ideal Society : एक आदर्श समाज कैसा होना चाहिए? डॉ. बीआर आंबेडकर के नजरिये से समझिये

लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…

1 year ago

Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर डॉ. बीआर आंबेडकर की कही गई प्रेरक बातें

Dr. BR Ambedkar Inspiring Quotes on Education : शिक्षा पर बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर…

2 years ago

This website uses cookies.