दलित आवाज़ की खबर का असर, रायबरेली दलित युवक की मौत का मामला राष्‍ट्रपति तक पहुंचा

उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के रायबरेली (Raebareli) में दलित (Dalit) युवक की गाय के महज उनके खेत में जाकर चरने पर उच्‍च जाति के लोगों द्वारा युवक को बेदर्दी से पीटने और उसकी मौत हो जाने के मामले की दलित आवाज़ द्वारा की गई कवरेज (पढ़ें इस घटना की पूरी कवरेज) का व्‍यापक असर देखने को मिला है. इस मामले को लेकर राष्‍ट्रपति (President of India), राष्‍ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) एवं राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) के समक्ष शिकायत की गई है. इस शिकायत में मामले की उच्‍चस्‍तरीय निष्‍पक्ष जांच कराकर समाज में व्‍यापक संदेश देने एवं पीडि़त के परिवारवालों को उपर्युक्‍त मुआवजा दिए जाने की मांग भी की गई है.

बता दें कि दलित आवाज़ (Dalit Awaaz) द्वारा इस मामले की रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने के बाद इसे सोशल मीडिया पर काफी रिस्‍पॉन्‍स मिला. अभी तक इस खबर को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्मस पर 37000 बार से ज्‍यादा शेयर किया जा चुका है. केवल देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लोग इसे पढ़ रहे हैं. दलित युवक के साथ हुई इस दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं.

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एडवोकेट और सोशल एक्टिविस्‍ट अमित साहनी (Advocate and Social Activist Amit Sahni) द्वारा राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) के अलावा राष्‍ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग व राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखकर इस मामले की शिकायत की गई है, जिसमें कहा गया है कि इस मामले की उच्‍चस्‍तरीय निष्‍पक्ष जांच कराई जाए.

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एडवोकेट अमित साहनी की ओर से भेजे गए इस पत्र में कहा गया है ‘दलित आवाज़ डॉट कॉम (dalitawaaz.com) एवं एक अन्‍य समाचार पोर्टल पर प्रकाशित खबर से रायबरेली में दलितों (Dalit) की बदतर स्थिति और जातिगत भेदभाव (Caste Discrimnation) का गंभीर मामला सामने आया. इस न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, रायबरेली जिले के भदोखर थाना क्षेत्र के बेला खारा गांव के निवासी राम नरेश गौतम का पुत्र राम शंकर 27 अप्रैल 2020 को अपने जानवर चरा रहा था. इस दौरान चरते-चरते उसके जानवर गांव के दबंग प्रमोद बाजपेई के खेत मे चले गए. इस पर प्रमोद ने सिद्धार्थ बाजपेई के साथ मिलकर राम नरेश को बुरी तरह पीटा. इससे राम नरेश बुरी तरह चोटिल हो गया. राम नरेश के घरवालों ने इसकी शिकायत थाने में की, लेकिन दबंगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.

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पत्र में कहा गया है कि यहां तक की पुलिस ने दलित किशोर को मेडिकल सुविधाएं दिलवाने के लिए कोई कार्रवाई की, जिसके चलते दलित किशोर की मौत हो जाने के बाद मामले ने तूल पकड़ा और थानेदार ने महज शिकायत दर्ज करते हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर कार्यवाही करने की बात कही.

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एडवोकेट साहनी की तरफ से कहा गया है कि दलितों पर अत्याचार का ये कोई अकेला मामला नहीं है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश विशेषकर रायबरेली में आए दिन दलितों पर अत्याचार के मामले आम हो चले हैं. ऐसी घटनाएं पूरे समाज पर कलंक हैं कि आजादी के 70 से अधिक बरस बीत जाने के बाद भी दलितों को इतनी ही भावना से देखा जाता है और सही मायने में दलितों के प्रति सामाजिक नजरिया बतलाती हैं और यह भी प्रदर्शित करती हैं कि दलितों का समाज में किस तरह शोषण होता आया है और कानूनी फेरबदल होने के बावजूद भी दलितों पर सामाजिक बर्बरता समाप्त नहीं हो पाई है.

उनकी तरफ से मांग की गई है कि दोषियों के उच्च जाति व् रसूखदार परिवार से होने के कारण उक्त दोषियों के खिलाफ उपयुक्त कार्यवाही न होने का अंदेशा है और यह गुजारिश की जाती है कि आप पूरे मामले कि उच्चस्तरीय जांच सुनिश्चित करें और मृतक व उसके परिवार को प्रोटेक्शन मुहैया करवाई जाए ताकि जातिगत हिंसा को उस इलाके में रोका जा सके.

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साथ ही कहा गया है कि मृतक के परिवार को सरकार से तरफ से उचित मुआवज़ा दिलवाया जाए, क्योंकि परिवार के कमाने वाले सदस्य के जाने के पश्चात परिवार पर जो आर्थिक संकट आया है, उसकी आंशिक भरपाई हो सके. पत्र में आगे कहा गया है कि इस पूरे मसले में उचित कार्रवाई होने से ही समाज में संदेश जाएगा कि दलितों, पिछड़े वर्गों और जातिगत अपराधों को समाज में जगह नहीं दी जाएगी और ऐसा करने वाले लोगों को खिलाफ भविष्य में कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

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