भाटला सामाजिक बहिष्कार प्रकरण में गांव के सरपंच समेत सात लोगों के खिलाफ गांव के दलितों ने मुकदमा दर्ज कराया था.
हांसी. आजादी के इतने लंबे समय बाद भी देश के विभिन्न हिस्सों में दलितों के साथ भेदभाव हो रहा है. भेदभाव से परेशान हरियाणा के
गांव भाटला के सामाजिक बहिष्कार के पीड़ित दलित समाज के लोगों ने शुक्रवार को हांसी के उपमंडल अधिकारी नागरिक को अपने सामूहिक बयान सौंपे. एसडीएम की अनुपस्थिति में एसडीएम कार्यालय के अधीक्षक राधाकृष्ण ने उक्त बयान प्राप्त किए.
29 अप्रैल को उपायुक्त के निर्देश पर हांसी के तहसीलदार अनिल परुथी व बीडीपीओ हांसी प्रथम व गांव भाटला के ग्राम सचिव गांव में दलित समाज के लोगों के बयान दर्ज करने गए थे, जहां पर दलितों ने बयानों की वीडियोग्राफी कराने की मांग की जिस पर मौके पर कई अधिकारी दलितों के बयान दर्ज किए बिना ही वापस आ गए.
21 अप्रैल को भी लोगों ने दर्ज कराए थे बयान
इससे पहले भी 21 अप्रैल को तहसीलदार व बीडीपीओ गांव में सामाजिक बहिष्कार प्रकरण में बयान दर्ज करने गए थे परंतु गांव के दलित समाज के लोगों ने तहसीलदार अनिल परुथी व बीडीपीओ हांसी प्रथम व ग्राम सचिव पर आरोप लगाया कि इन अधिकारियों ने केवल गांव के सामाजिक बहिष्कार की आरोपी भाईचारा कमेटी के सदस्यों तथा स्वर्ण समुदाय के लोगों के बयान दर्ज किए हैं तथा गांव में दलितों के बयान दर्ज नही किये.
इस बारे जब गांव के दलितों ने हांसी के उपमंडल अधिकारी नागरिक से बात की गई तो उन्होंने दलित ग्रामीणों को बताया कि आप लोगों ने खुद तहसीलदार के सामने बयान दर्ज करने से मना कर दिया ऐसा तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है यह बात सुनकर गांव के दलित बिफर गए तथा उन्होंने तीनों अधिकारियों के खिलाफ उपमंडल अधिकारी नागरिक को एक लिखित शिकायत दी तथा कहा कि इन अधिकारियों ने दलितों के बयान जानबूझकर दर्ज नहीं किए तथा ना जाए तथा गैर कानूनी रूप से केवल सवर्णों व सामाजिक बहिष्कार की आरोपी भाईचारा कमेटी के बयान दर्ज किए हैं. इन अधिकारियों ने जानबूझकर दलितों की मुकदमें बाजी को कमजोर करने का प्रयास किया है तथा सवर्णों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की हैं.
7 लोगों के खिलाफ दलितों ने दर्ज कराया मुकदमा
आपको बता दें कि भाटला सामाजिक बहिष्कार प्रकरण में गांव के सरपंच समेत सात लोगों के खिलाफ गांव के दलितों ने मुकदमा दर्ज कराया था. गांव के दलित समाज की मांग थी कि सामाजिक बहिष्कार का पीड़ित पूरे गांव का दलित समाज है इसलिए सभी को अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए परंतु प्रशासन ने केवल 8 लोगों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई.
पीड़ित दलित समाज के अधिवक्ता रजत कलसन ने बताया की हिसार की एससी /एसटी एक्ट के तहत स्थापित विशेष अदालत ने भी उपायुक्त हिसार को एक आदेश जारी कर मुआवजे के बारे गांव के दलितों की जांच करने तथा उन्हें सहायता देने के आदेश दिए थे. परंतु इसके बावजूद भी जिला प्रशासन ने पीड़ितों को आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई जिसके बाद भाटला के पीड़ित दलितों ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जिला उपायुक्त के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की जिसके नोटिस मिलने के बाद प्रशासन हरकत में आया तथा उक्त अधिकारियों को मौके पर भेजा गया जिसके बाद यह ताजा विवाद हो गया.
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