UP Mahoba dalit groom determined to mount a mare Bhim Army Supports
नई दिल्ली/महोबा : देश आज भी जातिवाद (Casteism) की बेडि़यों में बड़ी हद तक जकड़ा है. सामाजिक भेदभाव के शिकार पिछड़े दलितों (Dalits) को कथित सवर्णों द्वारा उनके कानूनी, मानवीय अधिकारों से महरूम रखने का सिलसिला अभी तक जारी है. आजादी के 70 साल से ज्यादा गुज़रने के बावजूद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का महोबा (Mahoba) जिला इसका बड़ा प्रमाण है.
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले (Mahoba) में सामने आया यह मामला 21वीं सदी में भी ऊंच-नीच की रूढ़िवादी सोच को उजागर करता है. यहां 74 सालों बाद भी आजतक किसी दलित दूल्हे की बारात घोड़ी पर सवार होकर नहीं निकल सकी है. सुनकर आपको हैरानी होगी, लेकिन यह सच है. यहां ऊंची जाति के लोग दलितों को घोड़ी चढ़ने की इजाजत नहीं देते हैं.
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इस रुढ़िवादी परंपरा को तोड़ने के लिए एक दलित (Dalit) युवक ने आवाज उठाई है. अपने अधिकारों के प्रति सजग इस दलित युवक ने आवाज़ उठाते हुए उसने पुलिस-प्रशासन से इजाजत मांगी है कि उसे घोड़ी चढ़ने की अनुमति दी जाए, ताकि वह अपनी बारात धूमधाम से निकाल सके.
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यह मामला महोबकंठ थाने के एक गांव माधवगंज का है. अनुसूचित जाति की चमार (Chamar) जाति से ताल्लुक रखने वाले 22 साल के अलखराम अहरिवार की शादी आगामी 18 जून 2021 को है. अलखराम ने जिद ठानी है कि वह घोड़ी पर चढ़कर ही अपनी बारात निकालेंगे. पर गांव के बाकी लोगों की तरह ही कहीं उनके भी अरमान अधूरे न रह जाएं, इसके लिए उन्होंने बकायदा वीडियो जारी कर मदद मांगी है.
इससे पहले भी माधवगंज गांव में कई दलित युवकों की बारात बिना घोड़ी के निकली है, जिनमें कई दिल्ली में प्राइवे नौकरी तक करते हैं.
देखें वीडियो…
अलखराम के पिता ग्यादीन अहिरवार ने महोबकंठ थाने के प्रभारी को लिखित शिकायत दी है कि आगामी 18 जून को उनके बेटे की शादी है और वह उसे घोड़ी पर चढ़ाकर बारात निकालना चाहते हैं, लेकिन गांव के ही जातिवादी, दूषित मानसिकता के लोग उन्हें रोकने के प्रयास में हैं.
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थाना प्रभारी को दी गई शिकायत में कहा गया है कि ये अराजक लोग गांव में घूम-घूमकर कह रहे हैं कि वे बारात को घोड़ी पर निकलने नहीं देंगे और बारात पर लाठियों और पत्थरों से हमला किए जाने की आशंका है.
ग्यादीन ने अपनी शिकायत में कहा है कि इन लोगों का कहना है कि तुम लोग चमार हो और हम तुम्हें घोड़ी पर बैठकर बारात नहीं निकालने देंगे. लिहाजा, उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए और उनके बेटे की बारात घोड़ी पर निकाली जाए.
पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा. महोबकंठ थाना पुलिस को शांति व्यवस्था कायम रखने के निर्देश दिए गए हैं.
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वहीं, अलखराम की पोस्ट को देखते हुए भीम सेना ने अपनी दम पर अलखराम की बारात घोड़ी में चढ़वा कर निकलवाने की तैयारी शुरू कर दी है. भीम आर्मी भारत एकता मिशन (झांसी मंडल) के मीडिया प्रभारी मानवेंद्र बौद्ध का कहना है कि कुछ मनुवादियों ने यहां तय किया है कि वह दलित समाज के युवक को घोड़ी पर चढ़कर बारात नहीं निकालने देंगे. इस बाबत महोबा के जिला अध्यक्ष आकाश रावण ने पुलिस-प्रशासन को ज्ञापन देकर कहा है कि वह घोड़ी पर ही अलखराम की बारात निकलवाएंगे. इसके लिए बड़ी सदस्य में भीम आर्मी एवं आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता 18 जून को गांव पहुंचेंगे.
इस मामले में भीम आर्मी के महोबा जिलाध्यक्ष आकाश रावण ने दलित आवाज़ से बातचीत में बताया कि करीब 5 से 6 दिन पहले अलखराम ने फेसबुक पर पोस्ट डाला था कि क्या कोई संगठन उसे उसकी शादी में घोड़ी पर चढ़वाकर बारात निकलवाने में मदद कर सकता है. इसके बाद उनके गांव के यादव और अन्य जाति के लोगों ने बकायदा धमकी दी है कि वह अलखराम को घोड़ी पर नहीं चढ़ने देंगे और ऐसा होने पर छतों से पत्थरों की बरसात भी करेंगे.
आकाश रावण ने बताया कि इसकी जानकारी के बाद वह और उनकी टीम गांव में गए और पूरे मामले को समझा और अलखराम को आश्वस्त किया गया है कि उनकी बारात घोड़ी पर ही निकलेगी. इस बारे में संबंधित थाने और जिला कप्तान को सूचना दे दी गई है. शादी के दिन भीम आर्मी के करीब 500 से अधिक सदस्य गांव में पहुंचेंगे और अलखराम की सुरक्षा में तैनात होकर उन्हें घोड़ी पर बारात निकलवाने में मदद करेंगे. भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष सिकंदर बौद्ध और भीम आर्मी भारत एकता मिशन (झांसी मंडल) के मीडिया प्रभारी मानवेंद्र बौद्ध के भी इस दौरान आने की पूरी उम्मीद है.
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