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Assembly Elections : चुनावों में पार्टियों की ‘मुफ्तखोरी’ वाली घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई चिंता

नई दिल्ली. पांच राज्‍यों के चुनावी महासंग्राम से पहले (Assembly Elections 2022) राजनीतिक पार्टियों द्वारा जनता को मुफ्त की चीजें दिए जाने की घोषणाएं (Promising Freebies) करने का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की चौखट तक पहुंच गया है. सार्वजनिक धन का इस्तेमाल कर मुफ्त चीजें देने का वादा करने वाली पार्टियों के चुनाव चिन्ह जब्त करने और दलों को गैर-पंजीकृत करने के निर्देश देने की मांग करती एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत (Apex Court) ने केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को नोटिस भेजा है. यह अर्जी भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय (BJP leader Ashwini Kumar Upadhyay) ने दायर की, जिसमें केंद्र सरकार से इस बारे में कानून बनाने की मांग की गई है.

बार एंड बेंच (Bar and Bench) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली (Supreme Court Chief Justice NV Ramana, Justice AS Bopanna and Justice Hima Kohli) की बेंच ने इस अर्जी पर सुनवाई की और कहा कि याचिका में गंभीर मुद्दा उठाया गया है, लेकिन साथ ही बेंच की तरफ से याचिकाकर्ता से पूछ लिया गया कि उनकी ओर से चुनिंदा पार्टियों के नामों का ही जिक्र किया गया है.

सीजेआई एनवी रमण (CJI NV Ramana) ने सुनवाई करते हुए कहा, ‘यह एक सीरियस इश्‍यू है. मुफ्त वितरण का बजट रेगुलर बजट (Budget) से अलग होता है. हालांकि उन्‍होंने कहा कि भले ही यह भ्रष्ट काम नहीं है, पर यह मैदान में असमानता (Inequality) को तैयार करता है.’

वहीं, सीजेआई ने याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय से यह भी पूछा कि, ‘आपकी तरफ से एफ‍िडेविट में सिर्फ दो नाम शामिल किए हैं?’ BJP Leader अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी इस याचिका में पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022) को लेकर हुई घोषणाओं (Promising Freebies) का हवाला दिया गया है. इनमें आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party), शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) और कांग्रेस (Congress) का नाम शामिल है.

अर्जी में उपाध्याय ने यह घोषणा करने की भी प्रार्थना की है कि चुनाव (Election) से पहले सार्वजनिक धन के जरिए मतदाताओं (Voters) को लुभाने के लिए मुफ्त की चीजों का वादा या वितरण करना संविधान के अनुच्छेद 14, 162, 266(3) और 282 (Indian Constitution Articles 14, 162, 266(3) and 282)का उल्लंघन है.

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