बीआर आंबेडकर

डॉ. आंबेडकर की राय में, संसदीय सरकार में विपक्षी पार्टी की आवश्यकता क्यों होती है?

Dr. BR Ambedkar opinion on why is opposition party needed in a parliamentary government? : संसदीय सरकार (Parliamentary Government) बिना शिक्षित जन-मत के कार्य नहीं कर सकती. सरकार और संसद को उचित रूप से कार्य करने के लिए जनता की राय की जानकारी अवश्य होनी चाहिए. इसे स्पष्ट करने के लिए आवश्यक है कि शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार में अन्तर किया जाये. प्रचार द्वारा सरकार, शिक्षा द्वारा सरकार से बिल्कुल भिन्न होगी. प्रचार का अर्थ है कि मामले के पक्ष में प्रस्तुतीकरण. शिक्षा का अर्थ है पक्ष एवं विपक्ष में सुनने के पश्चात् सरकार.

संसद में किसी मामलेन पर निर्णय करने के लिए नागरिकों के समक्ष उसकी अच्छाइयों एवं बुराइयों की जानकारी प्रस्तुत की जानी चाहिए, तब यह स्पष्ट है कि यहाँ दो पार्टियाँ होनी चाहिए. एक पार्टी मामले के पक्ष में तथा दूसरी पार्टी मामले के विपक्ष में प्रस्तुतीकरण दे, एक पार्टी की विद्यमानता से तानाशाही के अतिरिक्त कुछ नहीं होगा. तानाशाही से बचने के लिए दूसरी पार्टी आवश्यक है. यह एक गंभीर मामला है. लोगों को अच्छे कानूनों/नियमों की अपेक्षा अच्छे प्रशासन से मतलब है. कानून एवं नियम अच्छे होते हैं और उनका प्रबन्धन खराब हो सकता है.

नियमों एवं कानूनों का प्रबन्धन अच्छा या बुरा, इसके प्रबन्ध/लागू करने के लिए नियुक्त अधिकारी की स्वतन्त्रता पर निर्भर करता है. जहाँ केवल एक पार्टी होती है वहाँ अधिकारी राजनीतिक मुखिया, मंत्री की अनुकम्पा पर आश्रित होता है. मंत्री का अस्तित्व मतदाताओं की खुशी पर निर्भर करता है और प्रायः मंत्री मतदाताओं के लाभ के लिए अधिकारियों को गलत कार्य करने के लिए दबाव डालते हैं. यदि यहाँ कोई एक विपक्षी पार्टी होगी तो मंत्री के ऐसा कार्यों को प्रस्तुत किया जाएगा और ऐसी कुचेष्टा एवं अनिष्ठता को रोका जा सकेगा.

संभवतः अच्छे प्रशासन से लोग बोलने की स्वतन्त्रता एवं हिरासत बन्धन मुक्ति की आशा करते हैं. जब एक विपक्षी पार्टी होती है तो बोलने की स्वतत्रन्ता एवं कार्य करने की स्वतन्त्रता होती है. जब कोई विपक्ष नहीं होता तो खतरा होता है. ऐसी स्थिति में कोई भी प्रश्न नहीं कर सकता कि किसी व्यक्ति को बोलने से क्यों रोका गया है या अपनी नियति की ओर अग्रसर होने से क्यों रोका गया है.

यहाँ ऐसे आधार हैं कि विपक्षी पार्टी क्यों आवश्यक है. सभी देशों जहाँ कहीं संसदीय सरकार है वहाँ विपक्ष को राजनीतिक संस्थान के रूप में दर्जा मिला हुआ है. कनाडा और इंग्लैण्ड में विपक्ष एक कानूनी मान्यता प्राप्त निकाय है और दोनों देश विपक्षी नेताओं को वेतन देते हैं ताकि वह अपने संसदीय दायित्व बिना किसी कठिनाई के निभा सकें.

Source : बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर संपूर्ण वाड्मय

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