बेंगलुरु : बीते 19 फरवरी 2022 को बेंगलुरु में दलित आंदोलन (Dalit Movement in Bangalore) का एक असाधारण नजारा देखा गया. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में दलित संघर्ष के प्रतिरूप नीले झंडे (Blue Flag of Dalit Struggle) और नीली टी शर्ट पहने दलित समुदाय (Dalit Community) के लाखों लोग सड़कों पर थे. डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) की तस्वीर हाथ में लिए कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Legislative Assembly) की तरफ मार्च कर रहे इन लोगों की तादाद इतनी थी कि आनंद राव फ्लाईओवर पर सामने आई तस्वीर में लोगों का एक समुद्र दिखाई दे रहा था. दरअसल, लोगों की यह भीड़ रायचूर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश रहे मल्लिकार्जुन गौड़ा (Raichur District and Sessions Judge Mallikarjuna Gowda) के खिलाफ सड़कों पर उतरी थी, जिन्होंने गणतंत्र दिवस पर रायचूर में महात्मा गांधी के बगल में डॉ. बीआर आंबेडकर की तस्वीर (Dr. BR Ambedkar’s portrait Removed) रखने पर आपत्ति जताते हुए उसे हटवा दिया था. इसके खिलाफ यह विशाल विरोध मार्च आयोजित किया गया था, जिसमें इस जज को निलंबित कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई.
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बहुजनों, बुद्धिजीवी वर्गों की इस विशाल रैली की ताकत को देख मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka Chief Minister Basavaraj Bommai) को फ्रीडम पार्क में प्रदर्शनकारियों से मिलना पड़ा. उनके ज्ञापन को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने उनकी मांगों को संबंधित लोगों तक पहुंचाने का वादा भी किया. सीएम बोम्मई का पार्क में प्रदर्शनकारियों से मिलना अपने आप में असामान्य था.
दलित समुदाय (Dalit Community) के विरोध के इन दृश्यों में कर्नाटक दलित संघर्ष (Karnataka Dalit Sangharsha) के नीले झंडे और साथ ही एसडीपीआई के कुछ झंडे पकड़े लोगों का विशाल हुजुम दिखाई दिया. खबरों के मुताबिक, रैली में नारेबाजी भी हुई. लोगों ने ‘हमें न्याय चाहिए’ और ‘सरकार किसी के बाप की नहीं है’ के नारे लगाए. बड़ी संख्या में लोग नीली टी-शर्ट में दिखे, जिन पर बाबा साहब बीआर आंबेडकर की तस्वीर (Picture of Babasaheb Dr. BR Ambedkar) वाली तख्तियां थीं. तस्वीरों में यह भी दिखाया गया है कि मौर्य सर्कल फ्लाईओवर पर लोगों का एक समुद्र था, जो कर्नाटक विधानसभा की ओर मार्च कर रहा था.
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दलित संघर्ष समिति (Dalit Sangharsha Samiti) और उससे जुड़े श्रमिक संगठनों के प्रदर्शनकारी, किसान, महिला और छात्र समूह बेंगलुरु और राज्य के अन्य हिस्सों से संविधान संरक्षण महा ओक्कुट्टा (Samvidhana Samrakshana Maha Okkutta) के आह्वान पर सिटी रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा हुए थे. उन्होंने न्यायाधीश मल्लिकार्जुन गौड़ा (Judge Mallikarjuna Gowda who belongs to the Vokkaliga community) को निलंबित करने की मांग की, जो वोक्कालिगा समुदाय से हैं. उनकी मांग थी कि जज के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए. उन्होंने यह भी मांग की कि डॉ. आंबेडकर की तस्वीर (Dr. BR Ambedkar’s photo) राज्य के हर कोर्ट हॉल में लगाई जाए. इसके अलावा उनकी तस्वीर सभी न्यायिक कार्यक्रमों में लगाई जाए.
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गणतंत्र दिवस पर बाबा साहब की तस्वीर हटाए जाने की इस घटना के बाद कर्नाटक के कई हिस्सों में कई छोटे-पैमाने पर विरोध प्रदर्शन (Protest in Karnataka) हुए और जज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई. लेकिन उनका तबादला महज रायचूर जिले के प्रधान जिला और सत्र न्याधीधके पद से कर्नाटक राज्य परिवहन अपीलीय न्यायाधिकरण, बेंगलुरु के पीठासीन अधिकारी के पद पर कर दिया गया.
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अपनी आलोचना का जवाब देते हुए न्यायाधीश मलिकार्जुन ने दावा किया था कि उनका मतलब डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) का अपमान करना नहीं था. मीडिया को जारी बयान में उन्होंने कहा कि आंबेडकर की तस्वीर कभी नहीं हटाई गई और उनके खिलाफ झूठा प्रचार किया गया. जबकि सामने आए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बाबा साहब की तस्वीर को महात्मा गांधी के बगल की तस्वीर से हटा दिया गया.
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जिला न्यायाधीश मल्लिकार्जुन गौड़ा (Judge Mallikarjuna Gowda) गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे, जोकि ध्वजारोहण के लिए यहां आए थे. इस दौरान बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर का चित्र रखे जाने पर जिला न्यायाधीश ने झंडा फहराने से इनकार कर दिया. बाद में वहां से बाबा साहेब की तस्वीर को हटाए जाने पर ही जिला जज ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया और ध्वजारोहण किया. इस पूरे मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
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