नई दिल्ली : आज 6 दिसंबर को पूरा देश बाबा साहब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की पुण्यतिथि (Dr. Babasaheb Ambedkar Death Anniversary) को महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के रूप में मना रहा है. डॉ आंबेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान के पिता के रूप में भी जाना जाता है, का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था. संविधान निर्माता, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शोषितों-वंचितों एवं महिलाओं के मुक्तिदाता व समाजसुधारक बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के बाद के सुधारों में भी योगदान दिया. डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) की पुण्यतिथि को पूरे देश में ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
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महापरिनिर्वाण क्या है?
परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है (Parinirvan is one of the major principles and goals of Buddhism). संस्कृत शब्द (पाली में परिनिब्बाना के रूप में लिखा गया) का अर्थ है “मृत्यु के बाद निर्वाण”, जो शरीर के मरने के बाद निर्वाण की उपलब्धि को दर्शाता है. बौद्ध ग्रंथ (Buddha Granth) यानि महापरिनिर्वाण सुत्त (Mahaparinibbana Sutta) के अनुसार, भगवान बुद्ध (Lord Buddha) की 80 वर्ष की आयु में मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण माना जाता है.
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बीआर आंबेडकर को इससे क्यों जोड़ा जाता है?
डॉ. आंबेडकर का अंतिम कार्य, भगवान बुद्ध और उनका धम्म (Bhagwan Buddha aur unka Dhamma) पूरा करने के कुछ ही दिनों बाद 6 दिसंबर, 1956 को निधन हो गया था. बाबा साहब, जो 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में वर्षों तक धर्म का अध्ययन करने के बाद अपने 5,00,000 से ज्यादा समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म (Buddha Dharma) में परिवर्तित हो गए थे, उनके अनुयायियों द्वारा बौद्ध नेता माना जाता था. निधन के बाद बाबा साहब का मुंबई के दादर चौपाटी पर अंतिम संस्कार किया गया, जिसे चैत्य भूमि के नाम से जाना जाता है.
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भारत में अस्पृश्यता के उन्मूलन (Eradication of untouchability in India) में उनके कद और योगदान के कारण उन्हें बौद्ध गुरु माना जाता था. उनके अनुयायियों और समर्थकों का मानना है कि आंबेडकर भगवान बुद्ध के समान प्रभावशाली, शुद्ध और धन्य थे. और यही कारण है कि आंबेडकर (Ambedkar) की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के रूप में जाना जाता है.
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