सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात
वीर महानायक मातादीन वाल्मीकि (Matadin Valmiki), को मातादीन भंगी (Matadin Bhangi) के नाम भी जाना जाता है.
जो जाति व्यवस्था हिन्दू धर्म के लिए हमेशा अभिशाप रही है, उसी ने भारत की स्वतंत्रता क्रांति की पहली नींव रखी. वैसे तो भारत की स्वतंत्रता क्रांति की पटकथा 31 मई 1857 को लिखी गई, लेकिन मार्च में ही विद्रोह छिड़ गया था और इसके असली सूत्रधार थे वीर महानायक मातादीन वाल्मीकि (Matadin Valmiki), जिन्हें मातादीन भंगी (Matadin Bhangi) के नाम भी जाना जाता है. वह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की एक कार्ट्रिज निर्माण इकाई में काम करते थे. वही, पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 1857 के विद्रोह के बीज बोए थे.
मनोरंजन ब्यापारी : रिक्शा चालक से दलित साहित्यकार तक का सफर, संघर्ष भरी कहानी
दरअसल, बैरकपुर छावनी (Barrackpore Cantonment) कोलकत्ता (Kolkata) से केवल 16 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद थी. उस समय मृत जानवरों के चमड़े और त्वचा के साथ काम करना निम्न जातियों का व्यवसाय माना जाता था. रूढ़िवादी उच्च जाति के हिंदू उन्हें “अशुद्ध” मानते थे. एक दिन इस फैक्ट्री में कारतूस बनाने वाले मातादीन वाल्मीकि (Matadin Valmiki) को प्यास लगी, तब उन्होंने मंगल पांडेय नामक सैनिक से पानी मांगा. मंगल पांडे उच्च जाति से थे, तो उन्होंने मातदीन को नीची जाति का होने के चलते पानी पिलाने से इंकार कर दिया.
बहुजन नायक ललई सिंह यादव, जो उत्तर भारत के ‘पेरियार’ कहलाए…
बताया जाता है कि इससे मातादीन भंगी काफी नाराज हो गए और उन्होंने मंगल पांडेय से कहा कि तुम्हारा धर्म कैसा है, जो एक प्यासे को पानी पिलाने की इजाजत तो नहीं देता, लेकिन गाय जिसे तुम मां मानते हो, सूअर जिससे मुसलमान नफरत करते हैं, उसी के चमड़े से बने कारतूस को मुंह से खोलते हो. यह सुनकर मंगल पांडेय चकित रह गए.
पढ़ें- जनरल डायर को मारने वाले ‘दलित’ शहीद उधम सिंह की पूरी प्रेरक कहानी…
इसके बाद उन्होंने मातादीन को पानी पिलाया और इस बातचीत के बारे में उन्होंने बैरक के सभी लोगों को बताया. इस सच से वाकिफ होने पर मुसलमान भी बौखला गए.
हर पद पर ब्राह्मणों के कब्जे से नाराज थे शाहूजी महाराज, जारी किया था आरक्षण का गजट
बताया जाता है कि इसी के बाद मंगल पांडेय ने विद्रोह कर दिया. मंगल पांडे द्वारा लगाई गई विद्रोह की यह चिन्गारी ज्वाला बनी और एक महीने बाद ही 10 मई सन 1857 को मेरठ की छावनी में सैनिकों ने बगावत कर दी, जोकि क्रांति की ज्वाला बनकर पूरे उत्तरी भारत में फैल गई. बाद में अंग्रेजों ने जो चार्जशीट बनाई, उसमें पहले नाम मातादीन भंगी (Matadin Bhangi) का था. विद्रोह फैलाने के जुर्म में अंग्रेजों ने मातादीन को भी गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद मातादीन को भी अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था.
Dalit Success Story: दलित IPS ऑफिसर प्रवीण कुमार, जिन्होंने दलितों को नई पहचान दी
मायावती का यह बयान दलित राजनीति (Dalit Politics) में 'नेतृत्व संघर्ष' के संकेत के रूप…
Akhilesh Yadav Dr. BR Ambedkar Poster Row : अखिलेश अपनी पार्टी के दलित नेताओं का…
Rohith Vemula Closure Report: कांग्रेस ने कहा कि जैसा कि तेलंगाना पुलिस ने स्पष्ट किया…
Kanshi Ram Thoughts on Elections and BJP : कांशी राम का मानना था कि चुनावों…
लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है. यह मुख्य रूप से संबद्ध जीवन, संयुक्त…
Ravidas Jayanti 2024 BSP Mayawati message : बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शनिवार…
This website uses cookies.