पीजी मेडिकल कोर्स में ओबीसी, एसटी और एससी छात्रों के लिए 41% आरक्षण, विशेषज्ञ समिति की सिफारिश

Reservation News : लंबे समय से प्रतीक्षित निर्णय में गोवा मेडिकल कॉलेज (Goa Medical College) में पीजी पाठ्यक्रमों के लिए आरक्षण नीति (Reservation Policy) का अध्ययन करने के लिए गोवा सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने अंततः ओबीसी, एसटी और एससी समुदायों के छात्रों के लिए 41 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश (41 percent reservation for students from the OBC, ST, and SC communities) की है. ओबीसी आयोग के अध्यक्ष मनोहर अड़पोईकर (Chairman of OBC Commission Manohar Adpoikar) की अध्यक्षता वाली समिति ने मंगलवार को पंजिम में हुई एक बैठक के बाद यह घोषणा की.

Adpoikar के मुताबिक, 41 फीसदी आरक्षण में ओबीसी के लिए 27 फीसदी, एसटी के लिए 12 फीसदी और एससी के लिए दो फीसदी आरक्षण शामिल होगा. “हमारा काम हो गया; अगला कदम सरकार को आगे के फैसले लेने का है. अगर सरकार आरक्षण देना चाहती है, तो उसे ओबीसी, एसटी और एससी के लिए जीएमसी में पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कैबिनेट की बैठक में नियम बनाने होंगे.

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बैठक में अरुण कुमार मिश्रा, स्वास्थ्य सचिव, डॉ एस एम बांदेकर, सदस्य सचिव और जीएमसी के डीन, गोवा मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ पी वी राताबोली और अडपोइकर सहित समिति के सदस्यों ने भाग लिया.

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यह याद किया जा सकता है कि 2021 में, उच्च न्यायालय ने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए जीएमसी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए राज्य के एसटी, एससी और ओबीसी श्रेणी की सीटों के 41 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया था. 100 से अधिक डॉक्टरों ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के आदेश को लागू करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी.

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प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ गोवा के संयोजक मदु नाइक ने कहा, “एचसी ने अक्टूबर 2021 में आरक्षण को रद्द कर दिया, क्योंकि सरकार जीएमसी में प्रवेश के लिए योग्यता के 2004 के नियमों में संशोधन करने में विफल रही. इसके बाद हमने सरकार के साथ मिलकर कई प्रयास किए.” नाईक ने इस फैसले का स्वागत किया और गोवा सरकार से तुरंत कैबिनेट में नियम बनाने, उन्हें अधिसूचित करने और इसी शैक्षणिक वर्ष से ही आरक्षण प्रदान करने का आग्रह किया.

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उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने आरक्षण प्रदान करने के लिए 2007 में एक निर्णय लिया था, लेकिन योग्यता नियमों में संशोधन करने में विफल रही, इस प्रकार पिछले 16 वर्षों से कई छात्र आरक्षण से वंचित रहे.

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