चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने पिछड़े वर्गों को मिलने आरक्षण के लाभ (Reservation) में बड़ा बदलाव किया है. राज्य सरकार अब 6 लाख से ज्यादा सालाना आय पर पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ (Benefits of reservation to backward classes) नहीं देगी. सरकार की तरफ से क्रिमीलेयर के नए मानदंडों में पिछड़े वर्गों के लिए सालाना आय सीमा जोकि 8 लाख रुपये थी, उसे घटाकर 6 लाख कर दिया गया है. सरकार से इस फैसले से पिछले वर्गों के हजारों लोग प्रभावित होंगे.
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लेकिन, इन्हें मिलता रहेगा आरक्षण का लाभ
अमर उजाला की खबर के अनुसार, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव विनीत गर्ग ने नए मानदंडों की अधिसूचना जारी की है. हालांकि इस अधिसूचना में पिछड़े वर्ग के सांसद-विधायकों के आश्रित, प्रथम-द्वितीय श्रेणी अफसर, सेना में मेजर व ऊपर के अधिकारियों के आश्रित दायरे में नहीं रखे गए हैं. इससे ये लोग प्रभावितों के दायरे में नहीं आएंगे.
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इन्हें किया गया आरक्षण के दायरे से बाहर
खबर के अनुसार, वायुसेना व नौसेना में समकक्ष स्तर के अधिकारियों के आश्रितों को आरक्षण से बाहर कर दिया गया है. निर्धारित आय सीमा से अधिक जमीन और पिछले तीन साल में एक करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति अर्जित करने वालों को भी लाभ नहीं मिलेगा. इन वर्गों के राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति, संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, नियंत्रक महालेखा परीक्षक सहित अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों व परिजनों को आरक्षण से वंचित कर दिया गया है.
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बीते 24 अगस्त 2021 को प्रदेश सरकार की तरफ से क्रीमीलेयर को लेकर 17 अगस्त 2016 और 28 अगस्त 2018 को जारी अधिसूचनाओं को निरस्त कर दिया था. इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हरियाणा पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, 3 महीने के अंदर नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया गया था. इसी के बाद प्रदेश सरकार ने नए सिरे से क्रीमीलेयर तय किया है. केंद्र सरकार ने आठ लाख रुपये से कम वार्षिक आय वालों को आर्थिक रूप से कमजोर की श्रेणी में रखा है, जबकि हरियाणा ने यह सीमा छह लाख रुपये तय की है. सभी स्रोतों से प्राप्त आय को सकल वार्षिक आय की गणना करने के लिए जोडा़ जाएगा. (Benefits of reservation to backward classes)
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