मान्यवर कांशीराम की जयंती (Kanshi Ram Jayanti) पर दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) (Azad Samaj Party (Kanshiram) first National Convention) के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन में बहुजन एकता (Bahujan Unity) और दलित आंदोलन (Dalit Andolan) को आगे ले जाने का अदभुत नजारा देखने को मिला. इस अधिवेशन में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता, समर्थक एवं अन्य लोग शामिल हुए.
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भीम आर्मी चीफ एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद (Bhim Army Chief Chandra Shekhar Azad) ने संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन के जरिये बहुजन युवाओं में आंदोलन और पार्टी को आगे बढ़ाने के प्रति जोश भर दिया. इस दौरान चंद्रशेखर आजाद ने बाबा साहब डॉ. बीआर आंबेडकर (Dr. BR Ambedkar), मान्यवर कांशीराम और बहुजन महापुरुषों को याद करते हुए आपस में भाईचारा बढ़ाने पर जोर दिया…
Bhim Army Chief Chandra shekhar Azad News
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन में चंद्रशेखर आजाद का भाषण…
Chandra shekhar Azad’s speech at the first National Convention of Azad Samaj Party (Kanshiram)
ये लड़ाई, बड़ी कठिन लड़ाई है. दुनिया में दुश्मन से लड़ने के लिए आपको बहुत धैर्य रखना पड़ेगा.
मान्यवर कांशीराम ने कितनी कठिनाईयों से पैदल, साईकिल, बस, ट्रेन से सफर कर करके किस तरह अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया.
हमें तब तब नहीं रूकना है, जब तक अपने महापुरुषों का सपना पूरा न कर लिया जाए.
हमारा दूसरा अधिवेशन तीन साल बाद होगा. दूसरे अधिवेशन से पहले आप देश के एक नामचीन पार्टी होंगे.
जितना दम आप नारों के साथ लगाते हो, उतने ही दम से जमीन पर जाकर काम भी करो.
जितना भरोसा आप मुझ पर करते हैं, उतना ही भरोसा मैं आप पर भी करता हूं कि आप इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में मेरे साथ खड़े रहेंगे.
उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान पर हमें बहुत फोकस करना है.
मैं अधिवेशन में आए 90 फीसदी साथियों को नाम से जानता हूं.
इस साल 6 प्रदेशों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और मिजोरम. यहां हमारा मजबूत संगठन है.
हमारे पास सबसे पहला संकल्प ताली बजाने और नारे लगाने से ज्यादा अपनी पार्टी को सफल कैसे बनाएं, ये फोकस होना चाहिए.
आपको अपनी क्षमता बढानी पड़ेगा, इस चैलेज को स्वीकार करना पड़ेगा, भाईचारा बढ़ाना पड़ेगा, लोगों को जिम्मेदारी देनी पड़ेगी.
दूसरों के मोहरे बनने की बजाय हमें आपस में भाईचारा बढ़ाना पड़ेगा.
मुझे अपने दलित समाज पर गर्व है कि इस आंदोलन को आपने अपने खून से सींचा है, लेकिन आपको अभी इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए और तैयारी करनी पड़ेगी.