ओमप्रकाश वाल्मीकि: ओ, मेरे प्रताड़ित पुरखों, तुम्हारी स्मृतियां, इस बंजर धरती के सीने पर, अभी जिंदा हैं
ओमप्रकाश वाल्मीकि (Om Prakash Valmiki) की रचना : ओ, मेरे प्रताड़ित पुरखों, तुम्हारी स्मृतियां, इस बंजर धरती के सीने पर, अभी जिंदा हैं
ओमप्रकाश वाल्मीकि (Om Prakash Valmiki) की रचना : ओ, मेरे प्रताड़ित पुरखों, तुम्हारी स्मृतियां, इस बंजर धरती के सीने पर, अभी जिंदा हैं
साहित्यिक संस्था ‘साहित्य चेतना मंच’, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) ने अपने तृतीय “ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान” (Omprakash Valmiki Smriti Sahitya Samman) के लिए दस नामों की घोषणा कर दी है.
दलित स्त्री (Dalit Woman) के प्रश्नों पर निरंतर लेखन करने वालीं चर्चित कहानीकार आलोचक व कवयित्री अनिता भारती (Anita Bharti) दलित लेखक संघ (Dalit Lekhak Sangh) की अध्यक्ष हैं.
Om Prakash Valmiki, Sadiyon ka sanptap : वे जानते हैं, यह एक जंग है, जहां उनकी हार तय है… ओमप्रकाश वाल्मीकि