Manusmriti Rules for Shudras : मनुस्‍मृति के वो कानून, जिसने भारतीय समाज में असमानता का बीज बोया

Manusmriti Shudra

Manusmriti Rules for Shudras : मनुवाद (Manuvad) अभी तक भारतीय समाज को गहराई तक जकड़े हुए है. उच्‍च वर्ग सामाजिक असमानता के जरिये हर हद तक निचले तबकों का शोषण करने में लगा है. रोजाना सामने आने वाली दलितों के उत्‍पीड़न (Dalit Atrocities) की घटनाएं इसका प्रमाण हैं. दलितों (Dalit) के साथ आखिर ये सब घटित होने के पीछे ‘उच्‍च वर्गों की पिछड़ी सोच’ ही मुख्‍य वजह है, लेकिन क्‍या हमने कभी सोचा है क‍ि भारतीय समाज में ये असमानता बीज किसने बोया? क्‍यों हमेशा पिछड़ी जातियों को हीन नजर से देखा जाता है, उनके अधिकारों को कुचला जाता है? तो इसका जवाब है हमें मनु द्वारा लिखित मनुस्‍मृति में मिलता है. मनुस्‍मृति में शुद्रों (Shudra in Manusmriti) के लिए वह कानून बनाए गए, जिन्‍होंने भारी सामाजिक असंतुलन पैदा किया और शुद्र पीढ़ी दर पीढ़ी इससे प्रताडि़त होते आ रहे हैं…

जानते हैं कि मनुस्‍मृति में शुद्रों (Shudra) के लिए वह कानून, जिनसे पता चलता है कि शूद्रों, अतिशूद्रों और महिलाओं पर किस प्रकार और कितने अमानवीय अत्याचार हुए हैं…

-नीच वर्ण का जो मनुष्य अपने से ऊंचे वर्ण के मनुष्य की वृत्ति को लोभवश ग्रहण कर जीविकायापन करे तो राजा उसकी सब संपत्ति छीनकर उसे तत्काल निष्कासित कर दे.10/95-98

-ब्राह्मणों की सेवा करना ही शूद्रों का मुख्य कर्म कहा गया है. इसके अतिरक्त वह शूद्र जो कुछ करता है, उसका कर्म निष्फल होता है. 10/123-124

-शूद्र धन संचय करने में समर्थ होता हुआ भी धन का संग्रह न करें, क्योंकि धन पाकर शूद्र ब्राह्मण को ही सताता है. 10/129-130

-जिस देश का राजा शूद्र अर्थात पिछड़े वर्ग का हो, उस देश में ब्राह्मण निवास न करें, क्योंकि शूद्रों को राजा बनने का अधिकार नही है. 4/61-62

-राजा प्रातकाल उठकर तीनों वेदों के ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मणों की सेवा करें और उनके कहने के अनुसार कार्य करें. 7/37-38

-जिस राजा के यहां शूद्र न्यायाधीश होता है उस राजा का देश कीचड़ में धंसी गाय की भांति दुख पाता है. 8/22-23

-ब्राह्मण की सम्पत्ति राजा द्वारा कभी भी नही ली जानी चाहिए, यह एक निश्चित नियम है, मर्यादा है, लेकिन अन्य जाति के व्यक्तियों की सम्पत्ति उनके उत्तराधिकारियों के न रहने पर राजा ले सकता है. 9/189-190

-यदि शूद्र तिरस्कारपूर्वक उनके नाम और वर्ण का उच्चारण करता है, जैसे वह यह कहे देवदत्त तू नीच ब्राह्मण है, तब दस अंगुल लम्बी लोहे की छड़ उसके मुख में कील दी जाए. 8/271-272

-यदि शूद्र गर्व से ब्राह्मण पर थूक दे, उसके ऊपर पेशाब कर दे तब उसके होठों को और लिंग को और अगर उसकी ओर अपान वायु निकाले तब उसकी गुदा को कटवा दे. 8/281-282

-यदि कोई शूद्र ब्राह्मण के विरुद्ध हाथ या लाठी उठाए, तब उसका हाथ कटवा दिया जाए और अगर शूद्र गुस्से में ब्राह्मण को लात से मारे, तब उसका पैर कटवा दिया जाए. 8/279-280

-इस पृथ्वी पर ब्राह्मण–वध के समान दूसरा कोई बड़ा पाप नही है. अतः राजा ब्राह्मण के वध का विचार मन में भी ना लाए. 8/381

-शूद्र यदि अहंकारवश ब्राह्मणों को धर्मोपदेश करे तो उस शूद्र के मुंह और कान में राजा गर्म तेल डलवा दें. 8/271-272

-शूद्र को भोजन के लिए झूठा अन्न, पहनने को पुराने वस्त्र, बिछाने के लिए धान का पुआल और फ़टे पुराने वस्त्र देना चाहिए .10/125-126

-बिल्ली, नेवला, नीलकण्ठ, मेंढक, कुत्ता, गोह, उल्लू, कौआ किसी एक की हिंसा का प्रायश्चित शूद्र की हत्या के प्रायश्चित के बराबर है अर्थात शूद्र की हत्या कुत्ता बिल्ली की हत्या के समान है. 11/131-132

-यदि कोई शूद्र किसी द्विज को गाली देता है तब उसकी जीभ काट देनी चाहिए, क्योंकि वह ब्रह्मा के निम्नतम अंग से पैदा हुआ है.

-निम्न कुल में पैदा कोई भी व्यक्ति यदि अपने से श्रेष्ठ वर्ण के व्यक्ति के साथ मारपीट करे और उसे क्षति पहुंचाए, तब उसका क्षति के अनुपात में अंग कटवा दिया जाए.

-ब्रह्मा ने शूद्रों के लिए एक मात्र कर्म निश्चित किया है, वह है – गुणगान करते हुए ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना.

-शूद्र यदि ब्राह्मण के साथ एक आसन पर बैठे, तब राजा उसकी पीठ को तपाए गए लोहे से दगवाकर अपने राज्य से निष्कासित कर दे.

-राजा बड़ी-बड़ी दक्षिणाओं वाले अनेक यज्ञ करें और धर्म के लिए ब्राह्मणों को स्त्री, गृह शय्या, वाहन आदि भोग साधक पदार्थ तथा धन दे.

-जान बूझकर क्रोध से यदि शूद्र ब्राह्मण को एक तिनके से भी मारता है, वह 21 जन्मों तक कुत्ते-बिल्ली आदि पाप श्रेणियों में जन्म लेता है.

-ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न होने से और वेद के धारण करने से धर्मानुसार ब्राह्मण ही सम्पूर्ण सृष्टि का स्वामी है.

-शूद्र लोग बस्ती के बीच में मकान नही बना सकते. गांव या नगर के समीप किसी वृक्ष के नीचे अथवा श्मशान पहाड़ या उपवन के पास बसकर अपने कर्मों द्वारा जीविका चलावें .

-ब्राह्मण को चाहिए कि वह शूद्र का धन बिना किसी संकोच के छीन ले क्योंकि शूद्र का उसका अपना कुछ नही है. उसका धन उसके मालिक ब्राह्मण को छीनने योग्य है.

-राजा वैश्यों और शूद्रों को अपना अपना कार्य करने के लिए बाध्य करने के बारे में सावधान रहें, क्योंकि जब ये लोग अपने कर्तव्य से विचलित हो जाते हैं तब वे इस संसार को अव्यवस्थित कर देते हैं .

-शूद्रों का धन कुत्ता और गदहा ही है. मुर्दों से उतरे हुए इनके वस्त्र हैं. शूद्र टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन करें. शूद्र महिलाएं लोहे के ही गहने पहने.

-यदि यज्ञ अपूर्ण रह जाये तो वैश्य की असमर्थता में शूद्र का धन यज्ञ करने के लिए छीन लेना चाहिए .

-दूसरे ग्रामवासी पुरुष जो पतित, चाण्डाल, मूर्ख और धोबी आदि अंत्यवासी हो, उनके साथ द्विज न रहें. लोहार, निषाद, नट, गायक के अतिरिक्त सुनार और शस्त्र बेचने वाले का अन्न वर्जित है.

-शूद्रों के साथ ब्राह्मण वेदाध्ययन के समय कोई सम्बन्ध नही रखें, चाहे उस पर विपत्ति ही क्यों न आ जाए.

-स्त्रियों का वेद से कोई सरोकार नही होता. यह शास्त्र द्वारा निश्चित है. अतः जो स्त्रियां वेदाध्ययन करती हैं, वे पापयुक्त हैं और असत्य के समान अपवित्र हैं, यह शाश्वत नियम है.

-अतिथि के रूप में वैश्य या शूद्र के आने पर ब्राह्मण उस पर दया प्रदर्शित करता हुआ अपने नौकरों के साथ भोज कराए.

-शूद्रों को बुद्धि नही देनी चाहिए. अर्थात उन्हें शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नही है. शूद्रों को धर्म और व्रत का उपदेश न करें.

-जिस प्रकार शास्त्र विधि से स्थापित अग्नि और सामान्य अग्नि, दोनों ही श्रेष्ठ देवता हैं , उसी प्रकार ब्राह्मण चाहे वह मूर्ख हो या विद्वान दोनों ही रूपों में श्रेष्ठ देवता है.

-शूद्र की उपस्थिति में वेद पाठ नहीं करनी चाहिए.

-ब्राह्मण का नाम शुभ और आदर सूचक, क्षत्रिय का नाम वीरता सूचक, वैश्य का नाम सम्पत्ति सूचक और शूद्र का नाम तिरस्कार सूचक हो.

-दस वर्ष के ब्राह्मण को 90 वर्ष का क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र पिता समान समझ कर उसे प्रणाम करे.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…