भारतीय जातीय व्यवस्था और दलित: पहचान का सवाल
ब्लॉग- बलविंदर कौर नन्दनी भारतीय समाज के भीतर इतिहास द्वारा जात-पात की एक ऐसी व्यवस्था को खड़ा किया गया है, जिसमें मनुष्य अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक उलझा हुआ है. मनुष्य के जन्म के साथ उसकी जातीय पहचान तय हो जाती है, जो मृत्यु तक उसके साथ-साथ चलती है. 21वीं सदी के इस वैज्ञानिक …