महोबा. आजादी के कई दशक बीत जाने के बावजूद एक दलित को घोड़ी पर बारात (Dalit Barat on horse) निकालने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से मदद मांगनी पड़ रही है. कभी राजस्थान, कभी पंजाब तो कभी उत्तर प्रदेश से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं. ताजा मामला महाराष्ट्र (Maharashtra) के महोबा जिले का है.
जिले में एक दलित युवक ने अपनी शादी से पहले की रस्म के लिए अपने घर से पास के मंदिर में घोड़े की सवारी करने के लिए पुलिस सुरक्षा (Dalit Man demand Police Protection for Marriage) मांगी है. दलित युवक में मन में खौफ है कि कहीं उसके साथ पुरानी कहानी दोहराई न जाए इसलिए उसने पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा की मांग की है.
पुलिस थाने में लिखित में दी शिकायत
रिपोर्ट के मुताबिक, अलखराम अहिरवार ने महोबा में महोबकांत पुलिस को एक आवेदन दिया है, जिसमें उनसे 18 जून की शादी से पहले मंदिर में होने वाली रस्म के लिए सुरक्षा मुहैया कराने को कहा गया है. स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) महोबकांत, सुनील तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि दूल्हे ने लिखित में दिया था कि वह पुलिस सुरक्षा चाहता है क्योंकि वह विवाह पूर्व समारोह में घोड़े की सवारी करना चाहता है.
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अलखराम की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे
दलित युवक अलखराम से इस तरह की इच्छा की लिखित जानकारी मिलने के बाद एसएचओ ने कहा, हमने अनुमति दी है ताकि अलखराम अपनी इच्छा पूरी कर सके. स्थिति सामान्य है और किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं है. हम आवेदक को सुरक्षा भी प्रदान करेंगे और उम्मीद करते हैं कि शादी से पहले की रस्में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होंगी.’
ऐसा पहली बार होगा जब गांव में कोई दलित युवक घोड़ी पर अपनी बारात निकालेगा.
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हालांकि इस घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है कि आखिरकार कब दलित को घोड़ी पर बारात निकालने का अधिकार मिलेगा?