कोलकाता. विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा (West Bengal Violence) मामले में राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के 114 प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramath Kovind) को पत्र लिखा है. इस पत्र में अनुसूचित जाति के प्रोफेसरों (SC-St professors) ने बताया कि बंगाल में हुई हिंसा में 1600 से भी अधिक लोगों पर हुए हमलों में 40 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. वहीं, 11000 लोग हिंसा के कारण बेघर हुए हैं.
पत्र में कहा गया है कि हिंसा में जो लोग प्रभावित हुए हैं उनमें अधिकांश अनुसूचित जाति के लोग हैं. पत्र में लिखा है कि 5000 से अधिक घर जला दिए गए. 26 लोग मारे गए.
अनुसूचित जाति के लोगों पर हुआ अत्याचार
इसके बाद 2000 से अधिक लोगों ने असम, झारखंड और ओडिशा में शरण ली है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ मिलकर अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर अत्याचार किया.
इन्होंने आरोप लगाया है कि एससी और एसटी समुदाय के घरों, उनकी छोटी दुकानों को ध्वस्त और जला दिया गया और उन्हें फिर से अपने घरों में नहीं आने की धमकी दी गई.
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राष्ट्रपति से की दखल देने की मांग
प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वे इस मामले में दखल दें. साथ ही एससी-एसटी वर्ग के लोगों को पश्चिम बंगाल में सामाजिक सुरक्षा देने की मांग भी प्रोफेसरों द्वारा की गई है.
प्रोफेसर्स ने राष्ट्रपति से रखी ये 3 मांगें
- इस हिंसा में अनाथ हुए बच्चों की परवरिश, मेडिकल सहायता और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार उठाए.
- बेघर हुए लोगों को उनके घर बनाकर दिए जाएं, नुकसान का आकलन कर मुआवजा मिले.
- जिस परिवार ने अपना सदस्य खोया है उसे नौकरी या फिर रोजगार स्थापित करने में मदद मिले.