Dalit Sahitya

Mai Chamaron ki Gali tak le chalunga aapko Adam Gondvi Heartfelt relevant lines

मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको… अदम गोंडवी की मर्मस्पर्शी और प्रासंगिक पंक्तियां

अदम गोंडवी (Adam Gondvi) की कविता सामाजिक टिप्पणी के लिए जानी जाती हैं, जो भ्रष्ट राजनेताओं और प्रकृति में क्रांतिकारी विचारों के प्रति घृणा करती थी. आइये पढ़ते हैं उनकी ऐसी ही एक मर्मस्‍पर्शी और प्रासंगिक कविता मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको…

Dalit Poet Asanghosh Dalit literature scathing composition

‘तुम साले पैदा होते ही हो जाते हो महाराज..’ पढ़ें दलित साहित्‍य के अहम कवि असंगघोष की तीखी रचना

असंगघोष (Asanghosh) हिन्‍दी दलित साहित्‍य (Hindi Dalit Sahitya) के महत्‍वपूर्ण कवि हैं. उनके अब तक नौ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. पढ़ें उनकी तीखी रचना ‘मैं दूँगा माकूल जवाब’

Dalit Rachna Live like a growing sprout by Sushila Takbhaure

दलित रचना: चक्की में पिसते अन्न की तरह नहीं, उगते अंकुर की तरह जियो

सुशीला टाकभौरे (Sushila Takbhaure) दलित साहित्य (Dalit Sahitya) की महत्वपूर्ण कवयित्री, लेखिका एवं विचारक हैं…

Dalit literature

दलित साहित्य (Dalit literature) की 5 आत्मकथाएं, जो हर किसी को पढ़नी चाहिए

आधुनिक दलित साहित्य (Dalit Sahitya) का आगाज महाराष्ट्र (Maharashtra) में 60 के दशक में ‘दलित पैंथर आंदोलन’ (Dalit Panther Movement) के बाद हुआ. इस आंदोलन के चलते ज.वि.पवार, राजा ढाले, नामदेव ढसाल, अरुण कांबले जैसे दलित एक्टिविस्ट (Dalit Activist) और रचनाकारों ने दलित साहित्य (c) लिखने वालों में नई जान फूंकी, क्योंकि इससे पहले दलित …

दलित साहित्य (Dalit literature) की 5 आत्मकथाएं, जो हर किसी को पढ़नी चाहिए Read More »

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…