असंगघोष (Asanghosh) हिन्दी दलित साहित्य (Hindi Dalit Sahitya) के महत्वपूर्ण कवि हैं. उनके अब तक नौ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. पढ़ें उनकी तीखी रचना ‘मैं दूँगा माकूल जवाब’
हमारा
पिता होना
माँ होना
बेटा होना
बेटी होना
बहु होना
कोई मायने नहीं रखता
तुम्हारे लिए
हम केवल गुलाम हैं
तुम माई हो
बाप हो
हुजूर हो
मालिक हो
मुझसे चाहते हो
कि
मैं तुम्हें कहूँ
गोड़ पडूँ महराज,
और
तुम साले
पैदा होते ही
हो जाते हो
महाराज
पंडिऽऽऽऽऽजी
भाड़ में जाएँ
साहब…
सलाम
और
तुम्हारे पाँव
मैं
इन पर
मारता हूँ कुल्हाड़ी।