मध्‍यप्रदेश: शिवपुरी में दलित दूल्हे की बारात पर तलवारें चलीं, छतों से पथराव हुआ, डीजे पर गाना बजाया था

Madhya Pradesh Shivpuri Dalit groom wedding procession was fought with swords stones pelted song played on DJ

Shivpuri of Madhya Pradesh : गैर दलितों (Non Dalits) के मुंह से आपने अक्सर सुना होगा कि अब कहां है छुआछूत (Untouchability). हमने तो न कभी किया और न ही बचपन में कभी होते देखा छुआछूत. आपने दलितों (Dalits), आदिवासियों (Tribals) और पिछड़े वर्ग के लोगों (Backward class people) को संविधानप्रदत्त मिले आरक्षण संबंधी अधिकारों (reservation related rights provided by the constitution) का यह कहकर मखौल उड़ाते हुए भी देखा और सुना होगा. यदि दलितों के प्रति भेदभाव, प्रताड़ना और छूआछूत (Discrimination, harassment and untouchability against Dalits) आज भी कायम न होती तो क्यों आए दिन देश के अलग अलग राज्यों में दलितों के मंदिरों में प्रवेश करने, कुएं से पानी पीने, छू लेने भर पर पीट देने जैसी घटनाएं होतीं.

शिवपुरी (Shivpuri) का है मामला

हालिया वाकया मध्य प्रदेश के शिवपुरी (Shivpuri of Madhya Pradesh) का है जहां एक दलित दूल्हे की शादी (Dalit groom’s marriage) में हथियार भांजे गए. दरअसल दलित परिवार ने अपनी बारात में DJ बजाया भी बजाया था जो दबंगों को नागवार गुजरा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रात करीब 11बजे दूल्हा बारात समेत अंबे वाटिका (मैरिज वैन्यू) पहुंची.

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डीजे पर गाना बजाना पास में ही रहने वाले पूर्व पार्षद दिलीप सिंह यादव (Former Councilor Dilip Singh Yadav) को बुरा लगा और उन्होंने लोगों पर हमला बोल दिया. डीजे के साथ तोड़फोड़ करने के साथ ही इन लोगों ने पथराव भी किया. कई बारातियों पर तलवारों और लाठी-डंडों से हमला कर दिया. साथ ही कई महिला और पुरुषों को पीट-पीटकर घायल कर दिया. हैरानी की बात तो यह है कि घरों की छत से बारात पर पथराव तक किया गया.

वैसे तो इस पूरे मामले की रिपोर्ट करैरा थाने में लिखवा दी गई. 3 नामजद सहित अन्य लोगों के खिलाफ अटेंम्पट टू मर्डर सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर दिया गया. पुलिस का कहना है कि पूर्व पार्षद दिलीप यादव, अजय यादव, बलवंत सिंह यादव और उनके सहयोगियों के खिलाफ पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. लेकिन इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि समाज में छुआछूत आज भी कायम है और जब तक दलितों को यह सब झेलना पड़ता है. आखिर कब तक दलित वर्ग सामान्य नागरिक की हैसियत से अपना जीवन नहीं जी सकता.

Shivpuri

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