
भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर से जुड़ी 5 खास बातें, जो हमें जाननी चाहिए
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नई दिल्ली. भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर कई मायनों में युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं. एक दलित राजनीतिक नेता के तौर पर उभकर भारतीय संविधान को लिखकर डॉ. भीमराव को मुख्य शिल्पकार के तौर पर पहचाना जाता है. एक अस्पृश्य परिवार में जन्म बाबा साहेब आंबेडकर का सारा जीवन नारकीट कष्टों में बिताना पड़ा.
बचपन से ही बीआर आंबेडकर दलितों की स्थिति को लेकर चिंतित थे. एक दलित बच्चा होने के कारण उन्होंने देखा था कि किस तरह दलित बच्चों और दूसरे बच्चों में भेदभाव किया जाता था. बचपन कठिनाइयों में बिताने के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वो दलित समुदाय की आने वाली पीढ़ी को किसी भी तरह का कष्ट नहीं होने देंगे. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 5 अहम बातें…
- 1956 में उन्होंने समाजिक और राजनीतिक आंदोलन दलित बौद्ध आंदोलन चलाया. इसमें भारत के लाखों दलित लोगों ने हिस्सा लिया. उन्हें 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत बीआर आंबेडकर को भारत रत्न दिया.
- 1906 में आंबेडकर की शादी 9 साल की लड़की रमाबाई से हुई. उस समय आंबेडकर की उम्र महज 15 साल थी. उस समय देश में बाल विवाह कराए जाते थे.
- 1907 में उन्होंने मैट्रिक पास की और फिर 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया. इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे. 1912 में उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स व पॉलिटिकल साइंस से डिग्री ली.
- आंबेडकर एक समझदार छात्र और कानून और अर्थशास्त्र के व्यवसायी थे. उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. उन्होंने भारत के राज्य को पुरातन मान्यताओं और विचारों से मुक्त करने के लिए अर्थशास्त्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल किया.
- उन्होंने अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाने की अवधारणा का विरोध किया और सभी के लिए समान अधिकारों की वकालत की. 1913 में एमए करने के लिए वे अमेरिका चले गए. तब उनकी उम्र महज 22 साल थी. अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक स्कॉलरशिप मिलने के कारण संभव हो सका था. इसके बाद 1921 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से एमए की डिग्री ली.
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