पंचायत चुनाव में दलित ने नहीं दिया वोट, तो नवनिर्वाचित प्रधान ने फूंक दिया घर

UP Police

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों संपन्न हुए पंचायत चुनावों (UP Panchayat Elections) के बाद राज्य में दलितों पर अत्याचार बढ़ गया है. ताजा घटनाक्रम में भुता के विशेसरपुर गांव में प्रधानी के चुनाव में वोट नहीं देने से बौखलाए नवनिर्वाचित प्रधान के पति और उसके साथियों ने दलित के घर में आग लगा दी.

आग लगने से दलित के घर का सारा सामान जलकर खाक में तब्दील हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक, नवनिर्वाचित प्रधान ने पहले दलित परिवार को जातिसूचक शब्द कहे और मारपीट की इसके बाद अश्लील हरकतें करते हुए महिला के कपड़े फाड़ दिए.

आखिरकार क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, गांव में प्रधान पद के लिए हरीश पटेल और शिवनंदन की पत्नियां लड़ीं थीं. गांव के ही एक दलित परिवार ने शिवनंदन का समर्थन किया. हालांकि चुनावों में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा.

पीड़ित परिवार ने बताया कि हरीश पटेल इस बात की रंजिश मानने लगे कि उन्होंने उनके विपक्षी का समर्थन क्यों किया. पीड़ित दलित परिवार का कहना है कि चुनाव संपन्न होने के बाद नवनिर्वाचित प्रधान ने उनके साथ कई बार दुर्व्यवहार किया.

ये भी पढ़ेंः- झूठे आरोप लगाकर की दलित युवक की पिटाई, इलाज के लिए ले जाते वक्त मौत; ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

प्रधान के पति को लिया हिरासत में…
फिलहास पुलिस ने नवनिर्वाचित प्रधान और उसके पांच अन्य साथियों के खिलाफ मारपीट, बलवा, दलित उत्पीड़न एवं आगजनी का मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस ने प्रधान पति को हिरासत में लिया है.

 

दलित आवाज़ के यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए क्लिक करें…

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कांशीराम के अनमोल विचार… संयुक्‍त राष्‍ट्र में ‘दलित छात्रा’ ने बढ़ाया ‘भारत का मान’ शूरवीर तिलका मांझी, जो ‘जबरा पहाड़िया’ पुकारे गए खुशखबरी: हर जिले में किसान जीत सकते हैं ट्रैक्‍टर जब कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर वाल्‍मीकि नेताओं ने किया Dr. BR Ambedkar का विरोध सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बीआर आंबेडकर की मुलाकात Dr. Ambedkar Degrees : डॉ. आंबेडकर के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं ‘धनंजय कीर’, जिन्होंने लिखी Dr. BR Ambedkar की सबसे मशहूर जीवनी कांशीराम के अनमोल विचार व कथन जो आपको पढ़ने चाहिए जब पहली बार कांशीराम ने संसद में प्रवेश किया, हर कोई सीट से खड़ा हो गया डॉ. आंबेडकर के पास थीं 35000 किताबें…